त्रिवेंद्र सरकार के वित्तीय प्रबंधन को लेकर कैग (CAG) का बड़ा खुलासा।
देहरादून। विधानसभा सत्र का पांचवे दिन त्रिवेंद्र रावत सरकार के कार्यकाल की पहली CAG रिपोर्ट पेश की गई। साल 2017 – 18 को लेकर CAG ने अपनी रिपोर्ट पेश की। CAG की रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि जहां साल 2016-17 में राजस्व घाटा 383 करोड़ था वहीं साल 2017-18 में यह 1978 करोड़ रुपये हो गया है। कांग्रेस ने रिपोर्ट को लेकर सरकार पर हमला किया है।
सरकार की सफाई…
CAG रिपोर्ट को लेकर कैबिनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि CAG की रिपोर्ट का ये तात्पर्य नहीं है कि सरकार ने गलत कार्य किया है। सरकार इंफ्रास्टक्चर को मजबूत करने का प्रयास कर रही है ।
कैग की रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर बड़े सवाल खड़े किए गए हैं। कैग रिपोर्ट के अनुसार ‘आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया’ की तर्ज पर चल रही उत्तराखंड की हालत यह है कि इसे उधार लिए गए पैसे के ब्याज का भुगतान करने के लिए भी कर्ज़ लेना पड़ सकता है।
कैग रिपोर्ट के अनुसार साल 2013 से 18 के बीच राजस्व व्यय तो 16 फ़ीसदी की सालाना औसत से बढ़ा, लेकिन आय में वृद्धि 11 फ़ीसदी ही रही। यही नहीं इस दौरान राज्य का कुल खर्च भी 20 हज़ार करोड़ रुपये से बढ़कर पैंतीस हजार 1,978 करोड़ पर पहुंच गया।
समाज कल्याण् विभाग में वृद्धावस्था पेंशन वितरण में भी अंधेरगर्दी की गई। 614 लाभार्थियों को 17 लाख रुपए अधिक का भुगतान कर दिया गया। पिथौरागढ़, ऊधमसिंह नगर, चंपावत ज़िलों में ऐसे 74 लाभार्थी थे जिनको मृत्यु के बाद भी पेंशन दी जा रही थी। चार करोड़ रुपये ऐसे व्यक्तियों को पेंशन के रूप में दे दिए गए जो पात्र ही नहीं थे। 85 पेंशनधारी ऐसे थे जिन्हें दोबारा पेंशन के रूप में करीब 21 लाख रूपया का भुगतान कर दिया गया।
CAG रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंध को लेकर उठे सवाल–
साल 2017 – 18 में राजस्व घाट बढ़कर 1978 करोड़ रुपया हुआ ।
जबकि साल 2016 -17 में राजस्व घाटा 383 करोड़ रुपया था ।
साल 2017 – 18 में राजकोषीय घाटा 7935 करोड़ रुपया मानक लक्ष्य से अधिक हुआ ।
साल 2016-17 में राजकोषीय घाटा 5467 करोड़ रुपया था ।
CAG की रिपोर्ट में राज्य सरकार को लेकर बड़ी टिप्पड़ी ।
राज्य को अपने लिए गए उधार का ब्याज चुकाने के लिए भी ऋण की आवश्यकता होगी।
जिस कारण साल 2017 – 18 में 7526 करोड़ में से 3897 करोड़ रुपये लेने पर मजबूर होना पड़ा।
राज्य के विभागीय अधिकारियों द्वारा साल 2018 के विशष्ट उदेशों के लिए दिए गए 164.92 करोड़ के अनुदान संबंधित 102 उपयोगिता प्रमाण पत्र महालेखाकार उत्तराखंड को प्रस्तुत नहीं किये गए।
वित्तीय प्रबंधन को लेकर CAG की बड़ी टिप्पणी ।
अगले 10 वर्षों के दौरान सरकार को 26 हजार 662 करोड़ के कुल बकाया बाजार ऋणों में से 24 हजार 180 करोड़ के बाजार ऋण को चुकाना है।
जिसमें ब्याज की 15 हजार 863 करोड़ राशि भी है ।
अगले 10 वर्षों में राज्य को प्रतिवर्ष 4004 करोड़ का औसत भुगतान करना है।
जो वर्ष के दौरान लोक ऋण पुनर्भुगतान के 2 हजार 677 करोड़ से अधिक है।
जिस कारण भविष्य में पुनर्भुगतान दायित्व काफी हद तक बढ़ जाएगा।
CAG की रिपोर्ट में राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पड़ी।
राज्य में भगोड़े डॉक्टरों से अनुबंध के तहत 18 करोड रुपए वसूलने में राज्य सरकार नाकाम रही है।
भगोड़े डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का भी सीएजी रिपोर्ट में हुआ जिक्र ।
प्रदेश में शिक्षण संस्थानों में एमबीबीएस करने के दौरान अनुबंध के तहत शिक्षा ग्रहण करने के बाद पहाड़ में अनिवार्य रूप से सेवा देने का है अनुबंध ।
प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण को लेकर भी सीएजी की बड़ी टिप्पणी ।
केंद्र के मानकों के तहत नहीं होती कोई निगरानी ।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अधिसूचित 12 वायु प्रदूषण पैरामीटर्स में कोई निगरानी नहीं की गई ।
परिवहन विभाग द्वारा 15 साल पुराने वाहनों के संचालन को रोकने के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई ।
उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपनी वार्षिक रिपोर्ट विधानमंडल में भी प्रस्तुत करने में विफल रहा है।
समाज कल्याण विभाग की वृद्धावस्था पेंशन योजना को लेकर भी सीएजी की टिप्पणी ।
वृद्धावस्था पेंशन के लाभार्थियों की चयन प्रक्रिया विभिन्न कमियों से भरी थी।
पेंशन डेटाबेस में इनपुट व वैलिडेशन कंट्रोल की कमी थी।
जिसके चलते 614 लाभार्थियों को .17 करोड़ के अधिक भुगतान के प्रकरण थे।
मृत व्यक्तियों को .10 करोड़ वितरण किया गया।
अपात्र व्यक्तियों को 4.18 करोड़ का वितरण किया गया।
85 लाभार्थियों को 21 करोड़ का दोहरा भुगतान किया गया।