April 27, 2024

जौनसार बावर को देखना है तो लखवाड़ से शुरू करें और कतियान तक पहुंचे

भारत चौहान

यह जौनसार बावर का लखवाड गांव है और मध्य भाग में चालदा महासू देवता का मंदिर स्थित है जौनसार बावर का सबसे प्रगतिशील और शिक्षित गांव है।

मसूरी से जौनसार बावर के लिए जब प्रस्थान करेंगे तो सबसे पहला गांव आपको लखवाड ही मिलेगा। लखवाड नाम कैसे पड़ा इसके पीछे की लंबी कहानी है। जब लोग कम पढ़े-लिखे थे तो पत्र लिखवाने लखवाड जाते थे। लोग कहते हैं कि धीरे-धीरे लिखवार से लखवाड गांव पड़ा। जौनसार बावर में अच्छे कार्य की शुरुआत लखवाड से होती है। चाहे मंदिरों के नव निर्माण की श्रृंखला हो, चाहे शिक्षा का प्रचार-प्रसार हो चाहे, सरकारी सेवा में उच्च पदों पर आसीन होने वाली बात हो यह सब लखवाड से ही प्रारंभ होता है।

खत लखवाड का तरुण संघ जो 1942 में प्रारंभ हुआ था इसके माध्यम से लखवाड में खेलकूद, रचनात्मक एवं सामाजिक कार्य प्रारंभ हुए। मुझे बेहद खुशी है कि जब वर्ष 2017 में तरुण संघ के 75 वर्ष पूरे हुए तो लखवाड़ के बारे में गढ बेराट समाचार पत्र में विस्तृत रूप से लिखने का अवसर प्राप्त हुआ।

इस गांव की खास बात है कि यहां 50 वर्ष पूर्व लड़कियों द्वारा विधिवत रामलीला की जाती थी जिसका प्रत्येक पात्र लड़कियां ही होती थी और तरुण संघ के 75 वर्ष पूर्ण होने पर उन सभी लड़कियों को जो अब वृद्ध महिलाएं हो चुकी थी उनको सम्मानित किया गया था। 75 वर्ष पूर्ण होने पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

यहां का बालिका प्राथमिक विद्यालय शायद अब बालिकाओं के अभाव में बंद हो चुका है जबकि प्रारम्भ मे इस बालिका विद्यालय में बहुत अच्छी संख्या थी। राजकीय इंटर कॉलेज, बैंक, समाज कल्याण का छात्रावास, चिकित्सालय, पशु चिकित्सालय तमाम वह सभी विभाग लखवाड में है जो एक शहर में होते हैं।
आज भले ही पर्वतीय जिलों से बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं लखवाड से भी पलायन हुआ है परंतु यहां के लोगों ने यह आभास कभी नहीं होने दिया कि उनके घर बंद है सभी लोग त्योहारों में गांव आते हैं और हर्षाेल्लास के साथ त्यौहार मनाते हैं। लखवाड गांव में अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी हुए हैं। स्वर्गीय शूरवीर सिंह जी को भी 1977 से 1980 तक विधायक बनने का अवसर प्राप्त हुआ।

यह बात जरूर है कि लखवाड गांव में भी विगत कुछ वर्षों से भू धसाव की शुरुआत हो चुकी है जो अच्छा संकेत नहीं है। यहां का चालदा महासू देवता मंदिर अद्भुत है, मंदिर के बगल में एक प्राकृतिक जलस्रोत ऐसा है जिसमें पर्याप्त जल निकलता है। गांव की स्वच्छता, पर्यावरण आदि के क्षेत्र में तरुण संघ अच्छा कार्य कर रहा है। जौनसार बावर को देखना है तो लखवाड से शुरू करें और कथियान तक पहुंचे।

भारत चौहान के फेसबुक से साभार


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