May 3, 2024

‘यदि सभा का समय शोरशराबे और व्यवधान के कारण बर्बाद होता है, तो यह जनादेश के साथ धोखा होगा’ : राज्यपाल मौर्य।

देहरादून, 19 दिसम्बर, 2019 : भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का आज समापन हो गया। जिसका उदघाटन लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को देहरादून में किया था।
प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उत्तराखंड की राज्यपाल, बेबी रानी मौर्य ने कहा कि विधानमंडलों ने हमारे संघीय ढांचे को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि पीठासीन अधिकारी सभा के नियमों, शक्तियों और विशेषाधिकारों के संरक्षक हैं और इस तरह संसदीय लोकतन्त्र में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। मौर्य ने कहा कि सभा के प्रमुख होने के नाते संसदीय परम्पराओं का संरक्षण और संवर्धन करना उनका कर्तव्य है। उन्होंने यह बात याद दिलाई कि लोग अपने प्रतिनिधित्व की ज़िम्मेदारी अपने निर्वाचित राजनीतिक नेताओं को सौंपते हैं। इसलिए यदि सभा का समय शोरशराबे और व्यवधान के कारण बर्बाद होता है, तो यह जनादेश के साथ धोखा होगा।

राज्यपाल मौर्य ने यह भी कहा कि दल परिवर्तन को विनियमित करने वाले कानून से संबंधित संविधान की दसवीं अनुसूची के अंतर्गत पीठासीन अधिकारी उस न्यायाधीश के समान कार्य करते है जिसे पक्षपात किए बिना निष्पक्ष रूप से अपना निर्णय देना होता है। मौर्य ने विधानमंडलों में प्रौद्योगिकी के उपयोग की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया क्योंकि इससे हमारे पर्यावरण की रक्षा होगी ।

उत्तराखंड विधान सभा के अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस सम्मेलन के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि पिछले दो दिनों में हुई चर्चा में पीठासीन अधिकारियों द्वारा किया गया सार्थक योगदान बहुत ज्ञानवर्धक रहा है और यह संसदीय पद्धतियों और प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। उन्होंने लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश तथा राज्य विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों को सम्मेलन के सुचारु संचालन में उनके सहयोग और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया। अग्रवाल ने लोक सभा सचिवालय, राज्य सभा सचिवालय, उत्तराखंड विधान सभा सचिवालय, संबंधित एजेंसियों के अधिकारियों और मीडियाकर्मियों को भी इस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए किए गए अथक प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।
इससे पहले सम्मेलन में कार्यसूची के दूसरे विषय अर्थात संविधान की दसवीं अनुसूची और अध्यक्ष की भूमिका पर चर्चा की गई ।


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