हथियारों की होड़ से अशांत होने लगी हैं पहाड़ की शांत वादियां
उत्तरकाशी। पहाड़ की शांत वादियां गोलियों की गूंज से अशांत होने लगी हैं। ये अलग बात है कि बंदूक की गोली चलने से किसी की मौत नहीं हुई, लेकिन उत्तरकाशी में शस्त्रों की होड़ हैरान करने वाली है। महज सवा तीन लाख की आबादी वाले जनपद में 2062 लोगों को बंदूक आदि हथियारों के लिए लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं।
पहाड़ी क्षेत्रों में पहले सिर्फ जंगली जानवरों से स्वयं और खेतीबाड़ी के बचाव के लिए कारतूसी और भरवां बंदूक रखने का प्रचलन था। वन्य जीवों के शिकार पर रोक लगने के साथ ही इन पुरानी बंदूकों का प्रयोग लगभग बंद हो गया है। हालांकि अपनी पुश्तैनी धरोहर को अपने पास रखने के लिए जरूर लोग इन बंदूकों के लाइसेंसों का नवीनीकरण कराकर अपने पास संजोए हुए हैं। इनमें से भी कई लोग हर बार चुनाव के दौरान शस्त्र जमा कराने की फजीहत से बचने के लिए लाइसेंस सरेंडर कर रहे हैं। इसके उलट अब जिले में अत्याधुनिक पिस्टल एवं रिवाल्वर रखने की होड़ बढ़ने लगी है।
वर्तमान में देखें तो जनपद में 836 कारतूसी बंदूक, 1052 भरवां बंदूक एवं 55 राइफल के अलावा 27 पिस्टल और 92 रिवाल्वर के लाइसेंस शस्त्र धारक मौजूद हैं। इनमें से बड़ी संख्या तो पुश्तैनी बंदूक वालों की है, लेकिन बदलते समय के साथ स्टेटस सिंबल मानकर पिस्टल-रिवाल्वर रखने वालों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय मानी जा रही है। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि अपराधों के लिहाज से बेहद शांत जिले में अत्याधुनिक पिस्टल एवं रिवाल्वर के लाइसेंस के आवेदन में लोग आत्म सुरक्षा को कारण बता रहे हैं। लोक सेवक संघ के संयोजक बुद्धि सिंह पंवार का कहना है कि जिले में आसानी से शस्त्र लाइसेंस जारी होने के कारण ही बाहरी क्षेत्रों से यहां नौकरी एवं व्यवसाय के लिए आने वाले लोग भी आसानी से शस्त्र लाइसेंस हासिल कर रहे हैं। इस पर नियंत्रण की जरूरत है।