May 12, 2024

तो मठाधीशों की नजर में मैं अनुशासित पत्रकार नहीं?

– मैंने प्रेस क्लब के दरवाजे पर लात मारी तो अनुशासनहीन हो गया
– जब दुखी होते हैं तो मेरे कंधे पर सिर रखकर रोते हैं ये पत्रकार

गुणानंद जखमोला

मैं किसी भी घटना पर तुरंत रिएक्ट करता हूं, इसलिए अपने ही परिवार और समाज में बहिष्कृत सा हूं। कोई मुझे पंसद नहीं करता। हाल का उदाहरण लीजिए। कई पत्रकार साथियों के कहने पर उत्तरांचल प्रेस क्लब की सदस्यता के लिए दोबारा अप्लाई किया। मुझे जानकारी मिली कि मेरा आवेदन रिजेक्ट कर दिया गया है कि 2017 में मैंने प्रेस क्लब के दरवाजे पर लात मारी थी। इसे अनुशासनहीनता माना गया। खैर, मुझे यू तो कुछ नहीं कहना था लेकिन मैं इतना बताना चाहता हूं कि मैंने उस दौरान प्रेस क्लब के पदाधिकारियों के दरवाजे पर लात क्यों मारी?

मैं दिल्ली से पत्रकारिता करने के लिए देहरादून आया था। देहरादून के लिए नया था। उस दौरान मैं सहारा में चीफ सब एडिटर था। उस वक्त जो प्रेस क्लब का अध्यक्ष था। वह मेरे साथ काम करता था। इसके बावजूद मुझे सदस्य नहीं बनाया गया जबकि सहारा के एक मार्केटिंग वाले को सदस्य बना दिया गया। ऐसे ही कई लोगों को जो 12वीं पास भी नहीं थे, उन्हें सदस्य बना दिया गया। जैसा कि मेरे साथ होता है, मैंने लिस्ट देखी मेरा नाम नहीं था। मैंने गुस्से में प्रेस क्लब पर लात मारी और डीएवी कालेज का एक टीचर जो बच्चों की पढ़ाने की बजाए प्रेस क्लब की राजनीति करने और गरीब पत्रकारों को सस्ती दारू पिलाने के लिए यहां जमा बैठा रहता था। मैंने उसका हाथ जरा जोर से मरोड़़ दिया। यही बात कुछ पत्रकार साथियों के पेट में मरोड़ बन कर उभर रही थी। और इस बार उन्हें मरोड़ निकालने का मौका मिल गया।

प्रेस क्लब के संविधान में अनुशासनहीनता की क्या व्याख्या है। इसे मैं आरटीआई से हासिल कर ही लूंगा। पर इतना तो कोई बताए कि प्रेस क्लब पर कई साल ताला क्यों लटका रहा? क्यों क्लब में सिर-फुटोव्वल होता रहा? पुलिस क्यों दखल देती रही? क्या वो सब पत्रकार क्लब से बाहर हैं? क्या वो अनुशासनहीन नहीं हैं?
सारे नियम कानून मुझ पर ही लागू होंगे क्या? प्रेस क्लब सदस्य बनने से मेरे पत्रकार होने या न होने का प्रमाण नहीं मिलता। न ही मैं दारू पीता हूं और न ही क्लब में होने वाली प्रेस कांफ्रेंस की चाय-पकौड़ों के लिए वहां बैठा रहता हूं। न ही मुझे प्रेस क्लब की राजनीति करनी है और न ही हॉल में मृतकों की तर्ज पर फोटो लगाकर पूर्व अध्यक्ष या पदाधिकारी की तर्ज पर लटकने की इच्छा है।

हां, इतना जरूर है कि क्लब के अनुशासित और कानूनप्रिय सदस्यों को अब मैं वहां चल रहे बार के संबंध में आबकारी, प्रेस कांफ्रेंस के लिए लिए जा रही 1500 की कमाई पर जीएसटी, निगम की प्रापर्टी को सबलेट कर कमाई को लेकर निगम, रजिस्ट्रार के यहां एजीएम और सदस्यता को लेकर कई जानकारियां आरटीआई के द्वारा जरूर लूंगा।

मुझे उम्मीद है कि पत्रकार साथी मेरे आरटीआई लेने को मेरी अनुशासनहीनता नहीं मानेंगे और मुझे पत्रकार होने से ही मना नहीं करेंगे। यदि क्लब के पदाधिकारी मुझे पत्रकार नहीं मानेंगे तो मैं कैसे साबित करूंगा कि मैं पत्रकार हूं? यही चिन्ता मुझे खाए जा रही है।


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