उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनावों में हार से भाजपा को करारा झटका
उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनावों में प्रतिष्ठा की लड़ाई में हार से भाजपा को करारा झटका लगा है। ये सीटें मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफों से खाली हुई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव से साल भर पहले मिले इस बड़े झटके को भाजपा नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। वह जल्द ही इसकी उच्च स्तरीय समीक्षा करेगा।
पार्टी का मानना है कि कर्नाटक के चुनावों पर इन नतीजों का कोई असर नहीं पड़ेगा। वह जल्द ही नई रणनीति भी तैयार करेगी। यहां होने है उपचुनाव: भाजपा के कब्जे वाली तीन सीटें पालघर और भंडारा-गोंदिया (महाराष्ट्र) व कैराना (उत्तर प्रदेश) में उपचुनाव होने हैं। अगर वह इनको बरकरार रखती है तो उसकी निर्वाचित सदस्य संख्या 275 पहुंच जाएगी।
हारने पर मौजूदा 272 का आंकड़ा बरकरार रहेगा। इसके साथ उसके गठबंधन में शामिल एनडीपीपी व पीडीपी की रिक्त दो सीटों के लिए भी उपचुनाव होने हैं। ताकत का आकलन करेगी पार्टीलोकसभा चुनावों की तैयारी में जुटी भाजपा के एक नेता ने कहा, निश्चित रूप से यह नतीजे चौंकाने वाले हैं और इनकी पूरी समीक्षा की जाएगी। पार्टी विपक्षी गठबंधन की ताकत का आकलन करेगी। साथ ही वह अपने क्षत्रपों की स्थिति ( उनकी ताकत व कमजोरी) का भी विश्लेषण करेगी कि नतीजों पर इसका क्या असर पड़ता है।
उत्तर प्रदेश को लेकर भाजपा सतर्क :
भाजपा की केंद्र सरकार में असली ताकत यूपी से आती है। प्रधानमंत्री भी उत्तर प्रदेश से हैं। इसलिए उसके लिए यहां पर चुनौतियां ज्यादा मायने रखती हैं। उपचुनाव में कम मदतान को समर्थकों के उत्साह में गिरावट के तौर पर देखा जा रहा है। इसका असर योगी और मौर्य की साख पर भी पड़ेगा। ऐसे में भाजपा को ताकत बढ़ाने के साथ-साथ विपक्षी एकता की परिस्थितियों से भी जूझना पड़ेगा। इसलिए पार्टी यूपी को लेकर सतर्क है।
अगली चुनौती कर्नाटक :
पूर्वोत्तर में मिली जीत से उत्साहित भाजपा की नजर कर्नाटक चुनाव पर है। कर्नाटक की चुनौती पर भाजपा नेताओं का कहना है कि वहां के मुद्दे एकदम अलग हैं। इन उपचुनावों का वहां असर नहीं पड़ेगा।