May 20, 2024

मोदी के मन की बातः चारधाम यात्रा करें, लेकिन गंदगी न फैलाएं

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखण्ड में चार धाम यात्रा कर रहे श्रद्धालुओं से यात्रा के दौरान साफ-सफाई का ध्यान रखने का आग्रह करते हुए कहा कि कुछ यात्री इन पवित्र तीर्थ स्थलों पर गंदगी फैला रहे है, इसलिए सफाई पर ध्यान देकर अपनी आस्था को नया आयाम दें।

श्री मोदी ने रविवार को रेडियो पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 89वीं कड़ी में श्रद्धालुओं से कहा कि लोग बड़ी संख्या में ‘चार धाम और खासकर केदारनाथ में हर दिन हजारों की संख्या में पहंचे रहे हैं और यात्रा के सुखद अनुभव भी बांट रहे हैं लेकिन कुछ यात्रियों द्वारा फैलाई जा रही गंदगी से कई लोग बहुत दुखी भी है।

उन्होंने कहा, ‘हम पवित्र यात्रा में जायें और वहां गंदगी का ढेर हो, ये ठीक नहीं। शिकायतों के बीच कई अच्छी तस्वीरें भी मिल रही हैं। कई श्रद्धालु ऐसे भी हैं जो बाबा केदारनाथ के धाम में दर्शन पूजन के साथ स्वच्छता की भी साधना कर रहे है। कोई अपने ठहरने के स्थान के पास सफाई कर रहा है तो कोई यात्रा मार्ग से कूड़ा-कचरा साफ कर रहा है।’

उन्होंने कहा, स्वच्छ भारत की अभियान टीम के साथ मिलकर कई संस्थाएं और स्वयंसेवी संगठन भी वहां काम कर रहे हैं। हमारे यहां जैसे तीर्थ-यात्रा का महत्व होता है वैसे ही तीर्थ-सेवा का भी महत्व बताया गया है और मैं तो ये भी कहूंगा तीर्थ-सेवा के बिना तीर्थ यात्रा भी अधूरी है।’

प्रधान मंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में कई लोग स्वच्छता और सेवा साधना में लगे हुए है। उन्होंने रुद्रप्रयाग के मनोज बैंजवाल का जिक्र किया और कहा कि पिछले पच्चीस सालों से पर्यावरण की देख-रेख का बीड़ा उठाये हैं। स्वच्छता के साथ ही पवित्र स्थलों को प्लास्टिक मुक्त करने में भी जुटे हैं।

इसी तरह से गुप्तकाशी के सुरेन्द्र बगवाड़ी भी स्वच्छता को अपना जीवन मंत्र बनाये है। वह गुप्तकाशी में नियमित रूप से सफाई कार्यक्रम चलाते हैं और इस अभियान का नाम भी उन्होंने ‘मन की बात’ रख लिया है। ऐसे ही, देवर गांव की चम्पादेवी पिछले तीन साल से अपने गांव की महिलाओं को कूड़ा प्रबंधन सिखा रही है। चंपा ने सैकड़ों पेड भी लगाये हैं और अपने परिश्रम से एक हरा-भरा वन तैयार कर दिया है।

श्री मोदी ने कहा, ऐसे ही लोगों के प्रयासों से देवभूमि और तीर्थो की वो दैवीय अनुभूति हुई है जिसे अनुभव करने के लिए हम वहां जाते है, इस देवत्व और आध्यात्मिकता को बनाए रखने की जिम्मेदारी हमारी भी तो है।


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