May 3, 2024

Exclusive पड़ताल: सुनियोजित था सीएम रावत के छात्र-संवाद को बदनाम करना, छवि खराब करने लिए हुयी धन वर्षा।

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को प्रदेश के छात्र-छात्राओं के साथ लाईव-संवाद किया था। इस कार्यक्रम का मकसद युवाओं की बात को सुनकर उनके अनुरूप सरकारी नीति को बनाना है। इसी कड़ी के तहत् फेसबुक लाईव-कार्यक्रम के जरिये राज्यभर के छात्र-छात्राओं के साथ संवाद स्थापित किया। इस दौरान सीएम रावत ने छात्र-छात्राओं को एक संकल्प दिया कि “लक्ष्य पूर्ति तक आराम नहीं”। लेकिन फेसबुक कार्यक्रम को लेकर जिस प्रकार से लाईव प्रतिक्रियाएं सामने आई वह एक सुनियोजित साजिश थी। जिसका धीरे-धीरे पर्दाफाश हो रहा है। लाईव कार्यक्रम का उद्देश्य व कार्यक्रम की रूपरेखा राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर छात्रों के साथ संवाद पर केन्द्रित थी। लेकिन सीएम रावत के विरोधियों ने एक सुनियोजित षड़यंत्र के तहत् संवाद कार्यक्रम को उपद्रव की ओर मोड़ दिया। जिसका खामियाजा प्रदेश के हजारों छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ा।

यह सवाल इसलिये खड़ा हो गया है कि जब पहले से ही कार्यक्रम सीधा छात्र-छात्राओं से संवाद का था तो फिर अचानक छात्र-छात्राओं के बीच में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल न करने के बजाय बेरोजगारी व राजनितिक सवाल पूछे गये। जिससे साफ होता है कि एक सुनियोजित साजिश के तहत् सीएम रावत के कार्यक्रम को जोकि छात्र-छात्राओं के साथ संवाद का था उसे बेरोजगारी और राजनिति के नाम पर मोड़ दिया गया। इससे छात्र-छात्राओं को भी झटका लगा है। लेकिन सबसे चैकाने वाली बात यह रही कि फेसबुक लाईव के दौरान बेरोजगारी का मुद्दा एक षड़यंत्र के तहत उठाया गया। दस्तावेज डाॅट इन के कार्यकारी सम्पादक अजय द्ववेदी ने जब इस लाइव कार्यक्रम की पड़ताल की तो पाया कि सीएम रावत के संवाद कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले अधिकांश शख्स ऐसे थे जो लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से आये दिन सीएम रावत के खिलाफ दुष्प्रचार करने में जुटे रहते है। इन सबकी फेसबुक आई0डी0 चैक करने पर पता चलता है कि ये सब एक तड़ीपार तथाकथित इनामी स्टिंगबाज के सार्गिद है। इस अभियान के लिए स्टिंगबाज के माध्यम से सोशल मीडिया अभियान के लिए बड़ी मात्रा में अभियानबाजों के लिए धनवर्षा की गई है।

सीएम रावत के कार्यक्रम को लेकर जिस प्रकार से कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा प्रतिक्रिया व्यक्त की है वह पहाड़ी राज्य को शोभा नहीं देता है, लेकिन यह सब अचानक नहीं हुआ है इसके लिए देहरादून और दिल्ली में बैठकर मंथन किया गया कि कैसे युवाओं के बीच सीएम रावत की बढ़ती लोकप्रियता को प्रभावित किया जाये इसके लिए एक बार फिर उसी तड़ीपार स्टिंगबाज का सहारा लिया गया। जिसके बाद प्रदेश के छात्र-छात्राओं के साथ सीएम रावत के संवाद कार्यक्रम को बेरोजगारी, महंगांई और पलायन की ओर मोड दिया गया ओर एक सुनियोजित साजिश के तहत कमेंट बाक्स में अभद्र भाषा का प्रयोग इसलिए किया गया ताकि युवाओं के बीच में सीएम रावत की छवि को नुकसान पहुॅंचाया जाये। लाईव कार्यक्रम की पड़ताल करने वाले अजय द्ववेदी कहते है कि पूरे कार्यक्रम में यह सवाल नहीं पूछे गये कि सरकार छात्रों के लिए कोविड-19 जैसे संकट में क्या योजना बना रही है न ही उच्च शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा में शिक्षकों की कमी पर सीएम से सवाल नहीं किया गया।

इसके साथ ही पुस्तकालय, स्मार्ट क्लास, बेहतर शिक्षा जैसे बुनियादी सवाल से इतर बेरोजगारी, महंगाॅंई और पलायन की बातों पर हो-हल्ला मचाया गया। जिससे साफ होता है कि छात्रों के ई संवाद कार्यक्रम उपद्रियों ने एन्ट्री मारकर सीएम की बढ़ती लोकप्रियता को धूमिल करने का एक दुस्साहस किया है जिसकी प्रदेशभर के बुद्विजीवी वर्ग निंदा कर रहा है। इन लोगों का मानना है कि जो भी शैतानी ताकत प्रदेश में इस तरीके का अभियान चला रहे है उसका प्रदेश के नौजवानो से कोई वास्ता नहीं है और न ही यह उपद्रवी प्रदेश के नौजवानों की शिक्षा के साथ इनका कोई लेना देना नहीं है। लेकिन खुद को पहाड़ियों का झंडाबरदार साबित करने के लिए एक ईमानदार नेता की छवि खराब करने के लिए पहाड़ के नौजवानों को टूल के रूप में प्रयोग किया जाना सार्वजनिक बहस का मुद्दा है।


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