May 10, 2024

शिक्षा विभाग के अधिकारियो ने उड़ाई स्थानातरण एक्ट की धज्जियां

देहरादून। राज्य में सरकारी कार्मिकों की स्थानांतरण प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए स्थानांतरण अधिनियम 2017 विद्यमान है। इस अधिनियम में निहित प्रावधानों के अनुसार एक निश्चित अंतराल के उपरांत कार्मिकों का सुगम से दुर्गम और दुर्गम से सुगम स्थानांतरण होता है।

दुर्भाग्य है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी ही नियमों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं। जब सुगम के शिक्षक दुर्गम के लिए कार्यमुक्त ही नहीं होंगे तो कल दुर्गम का शिक्षक सुगम मैं कैसे आएगा? प्रत्यावेदन निस्तारण की आड़ में लगभग 40 प्रतिशत सुगम से दुर्गम स्थानांतरित शिक्षक कार्यमुक्त नहीं हुए हैं। एससीईआरटी और डायटों तक से शिक्षक अनिवार्य स्थानांतरण में कार्यमुक्त नहीं हुए जो कि सीधे-सीधे अपर निदेशक स्तर के उच्चाधिकारी के अधीन कार्यरत हैं।

स्थानांतरण अधिनियम में किसी भी कार्मिक के स्थानांतरण को निरस्त किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है और माननीय उच्च न्यायालय में स्थानांतरण संबंधी वाद दाखिल कर लेने भर से ही बिना स्थानांतरण आदेश पर रोक के कार्मिकों को कार्यमुक्त न किया जाना अवैधानिक है।

स्थानांतरण अधिनियम में स्पष्ट है कि एक सप्ताह के भीतर इस प्रकार के प्रत्यावेदनों का निस्तारण किया जाना होगा जबकि शिक्षा विभाग में महीनों से शिक्षकों को प्रत्यावेदन की आड़ में सुगम से दुर्गम के लिए कार्यमुक्त नहीं किया गया है। सुगम का शिक्षक तो कभी भी दुर्गम नहीं जाना चाहेगा इसलिए तो स्थानांतरण अधिनियम की आवश्यकता हुई और विभागीय अधिकारियों ने उसका भी सम्मान नहीं किया, इसलिए इस मामले में शिक्षा विभाग के ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय में वाद दाखिल किया जाएगा जिन्होंने अपने अधीनस्थ कार्मिक को स्थानांतरण के उपरांत भी आज तक कार्यमुक्त नहीं किया और स्थानांतरण अधिनियम का उल्लंघन किया है।


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com