May 18, 2024

सीईओ के आदेश को चुनौती देंगे डॉ० जोशी, वेतन रोके जाने को बताया नियमविरूद्ध

देहरादून। प्रवक्ता डॉ० अंकित जोशी ने उनके जुलाई माह के एक दिन का वेतन काटे जाने का विरोध किया है। दरअसल मुख्य शिक्षा अधिकारी की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि डॉ० जोशी बीते दस जुलाई को बिना पूर्व सूचना के विद्यालय में अनुपस्थित रहे। जिस एवज में उनका एक दिन का वेतन काटे जाने का मुख्य शिक्षा अधिकारी ने निर्देश जारी किया है।

मुख्य शिक्षा अधिकारी की ओर से जारी इस आदेश का विरोध करते हुए डा० अंकित जोशी ने कहा कि ये आदेश नियम विरूद्ध है और पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर ये आदेश जारी किया गया है।

डॉ० जोशी ने बताया कि बीते 9 जुलाई को अपर जिलाधिकारी की ओर भारी वर्षा के चलते 9 जुलाई को कक्षा 12वीं तक के सभी शिक्षण संस्थानों को बंद रखने के आदेश जारी किए थे। इस आदेश को मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून ने संशोधन कर दिया और शिक्षकों को विद्यालयों में बने रहना का फरमान जारी कर दिया।

बताया जा रहा है कि मुख्य शिक्षा अधिकारी ने यह आदेश व्हाट्स एप पर लिखा था जिसका डॉ० अंकित जोशी ने तब विरोध किया। डॉ० जोशी ने कहा कि मुख्य शिक्षा अधिकारी को जिलाधिकारी / अपर जिलाधिकारी के आदेश को संशोधित करने का अधिकार ही नहीं है।

डॉ० जोशी कहते है कि आपदा के दृष्टिगत और जान माल की हानि से बचने के कारण यदि अवकाश हुआ है तो शिक्षकों को बिना किसी काम के उपस्थित रखना न्यायोचित नहीं है बल्कि उनकी जान को जोखिम में डालना है। लेकिन मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा दिनांक 10 जुलाई 2023 को बिना पूर्व सूचना और अवकाश स्वीकृत करवाये बिना विद्यालय से अनुपस्थित रहने के कारण डॉ० अंकित जोशी का एक दिन का वेतन काटने के आदेश निर्गत किए गए हैं ।

इस संबंध में डॉ० अंकित जोशी का कहना है कि उन्होंने प्रधानाचार्य को बताया था कि उक्त तिथि को वे विद्यालय में उपस्थित नहीं रहेंगे। बावजूद इसके फिर भी अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जा कर मुख्य शिक्षा अधिकारी ने एक ऐसे आदेश के लिये नियमविरूद्ध तरीके से पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर वेतन रोकने का आदेश जारी किया है जोकि वास्तव में कभी निर्गत ही नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि ये आरोप निराधार है कि वे बिना सूचना के अवकाश पर रहे।

इसके अतिरिक्त भी मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा मुझे शासकीय कार्य करने संबंधी अपर निदेशक एससीईआरटी के आदेशों के अनुपालन में कार्यमुक्त करने में विलंब किया गया व सशर्त कार्यमुक्त किया गया जबकि जनपद देहरादून के कई शिक्षक अपने विद्यालय से बाहर कार्य कर रहे हैं । जिस नियमावली का हवाला दे कर मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा मेरी वेतन रोकने हेतु आदेशित किया गया हैं उस नियमावली के अनुसार उन्हें यह अधिकार ही प्राप्त नहीं है इसलिए यह आदेश द्वेषपूर्ण व अवैधानिक है इसे समुचित स्तर पर चुनौती दी जाएगी ।


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