May 6, 2024

रूपकुण्ड ट्रैक क्षेत्र से रात्रि विश्राम पर प्रतिबंध हटाने की उठी मांग

देहरादून। विश्वविख्यात हिमालयी ट्रैक रूपकुंड के लिए रात्रि विश्राम पर प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर स्थानीय लोगों का प्रतिनिधिमण्डल विधायक भोपाल राम टम्टा से मिला। इस ट्रैक पर रात्रि विश्राम की सरकारी अनुमति नहीं मिल पाने से चमोली के देवाल विकासखंड में स्थानीय लोगों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। साथ ही वन विभाग को भी हर साल लाखों रुपए की क्षति हो रही है।

स्थानीय लोगों ने क्षेत्रीय विधायक श्रीमान भोपाल राम टम्टा से मुलाकात कर उन्हें विस्तार से रूप कुंड ट्रैक के मार्ग पर आने वाले बखुवाबासा नामक स्थान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। स्थानीय लोगों ने प्रतिनिधिमण्डल ने बताया कि पूरा मौरेन यानी कि पथरीला क्षेत्र होने की वजह से ट्रैक मार्ग के रात्रि पड़ाव के लिए सबसे उपयुक्त है। यहां पर रात्रि विश्राम की अनुमति देने से उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना भी नहीं होती है।

उल्लेखनीय है कि कैप्टन दयाल सिंह पटवाल के द्वारा बुग्यालों में जानवरों के अवैध चरान को बंद कर के बुग्यालों के संरक्षण के लिए नैनीताल उच्च न्यायालय में की गई अपील पर माननीय अदालत ने 31 अगस्त 2018 को राज्य के सभी बुग्यालों के अल्पाइन क्षेत्र यानी कि मखमली घास के इलाकों में रात्रि विश्राम पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए थे। अदालत के इस आदेश का सबसे बड़ा खामियाजा लोहा जंग और रूपकुंड ट्रेक पर पड़ा और यहां वन विभाग ने ट्रैकिंग अभियानों को पूरी तरह से रोक दिया।

अदालत का आदेश सिर्फ अल्पाइन क्षेत्र यानी कि मखमली घास वाले बुग्याली क्षेत्र में रात्रि विश्राम से था, लेकिन वन विभाग के अफसरों ने बिना सोचे समझे इस पूरे ट्रैक को ही बंद कर दिया। जबकि यहां बखुवाबासा का इलाका अल्पाइन से एकदम हटकर यानी कि पथरीला है। अदालत के आदेशों के बाद भी इस मौरीन क्षेत्र (पथरीले इलाके) में रात्रि विश्राम किया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि रहस्यमयी नर कंकालों के लिए विश्व विख्यात रूप कुंड ट्रेक दुनिया के बेहतरीन ट्रैक में से एक है। यहां हर साल हजारों की तादाद में प्रकृति प्रेमियों के साथ ही शोधकर्ता, पर्यावरण विद् और जियोलॉजिकल सर्वे में रुचि रखने वाले तमाम शोधार्थी आते जाते हैं।

यही नहीं हिमालयी क्षेत्र का महाकुंभ कहे जाने वाले 12 वर्ष में होने वाले नंदा राज जात और प्रत्येक वर्ष नंद की वार्षिक नंदा जात में हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां बेदनी बुग्याल और रूपकुंड आदि क्षेत्रों में अपनी धार्मिक मान्यताओं को पूरा करने के लिए और अपने पुरखों के श्राद्ध आदि संपन्न करने के लिए जाते रहते हैं।

मगर अफसोस की बात यह है की 2018 में अदालत द्वारा बुग्यालों के अल्पाइन क्षेत्र में रात्रि विश्राम पर प्रतिबंध लगाने के कारण वन विभाग के अफसरों ने इस बुग्याल में रात्रि विश्राम पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है। जबकि अदालत का आदेश सिर्फ अल्पाइन क्षेत्र यानी कि मखमली घास के बुग्यालों में रात्रि विश्राम से था।

यहां यह भी उल्लेख करना आवश्यक होगा कि रूपकुंड क्षेत्र में जाने वाले ट्रैक्टर्स के लिए बिना बखुवाबासा रात्रि विश्राम के यह ट्रैक करना संभव नहीं है।


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