वाराणसी फ्लाईओवर हादसाः देर रात घटनास्थल पहुंचे CM योगी, घायलों से पूछा हाल
वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के समीप निर्माणाधीन फ्लाईओवर हादसे का जायजा लेने के लिए मुक्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार देर रात पहुंचे। उनसे पहले हादसे की जानकारी मिलने पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने नौ बजे शहर पहुंच कर दुर्घटनास्थल का मौका-मुआयना किया। रात 11:45 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शहर पहुंच गए।
उप मुख्यमंत्री मौर्य ने उप्र सेतु निगम के चार अभियंताओं को निलंबित कर दिया है। इसमें चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर एचसी तिवारी, प्राजेक्ट मैनेजर केआर सूदन, सहायक अभियंता राजेश सिंह और अवर अभियंता लालचंद शामिल हैं। हादसे की जांच के लिए तकनीकी टीम का गठन किया गया है। हादसे के बाद बनारस पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सर्किट हाउस में कहा कि घटना में 15 लोगों की मौत हुई और 11 घायल हैं।
सीएम योगी ने कहा कि इस हादसे की हकीकत जानने के लिए तीन सदस्यीय तकनीकी टीम का गठन किया गया है। टीम की रिपोर्ट के बाद जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी। यह घटना बहुत दुखद है। हादसे के बाद ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुझसे जानकारी ली और इसके बाद मैंने उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य को यहां भेज दिया था। हमारी प्राथमिकता घायलों को बेहतर इलाज देने की है।
हादसे में मृतकों को पांच लाख, गंभीर घायलों के दो लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपये की मदद की जा रही है। बता दें कि निर्माणाधीन चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर के दो बीम मंगलवार शाम सड़क पर गिर पड़े। बीम के नीचे एक महानगर सेवा की बस सहित दर्जन भर वाहन दब गए। बीम के नीचे दबे वाहनोें को गैस कटर से काट कर सेना और एनडीआरएफ के जवानों ने 18 शव और 30 से अधिक घायलों को बाहर निकाला है।
घायलों में 14 की हालत गंभीर बताई गई है। हादसे के लगभग आधा घंटे बाद पुलिस पहुंची और तकरीबन डेढ़ घंटे बाद राहत और बचाव कार्य शुरू हुआ। जिन बीम के नीचे वाहन दबे थे, उसे हटाने के लिए एक-एक कर 11 क्रेन आईं लेकिन उसे उठा नहीं सकीं।
सभी 11 क्रेन की मदद से बीम को हल्का सा उठाया गया तो दो ऑटो, दो बोलेरो, दो कार, तीन बाइक और एक अप्पे को बाहर निकाल कर महानगर बस को खींचा गया। रात 10 बजे राहत कार्य का पहला चरण समाप्त हो गया। इस दौरान देरी से राहत और बचाव कार्य शुरू होने के कारण भीड़ में मौजूद लोगों ने पुलिस-प्रशासन के विरोध में कई बार नारेबाजी की।
सेतु निगम ले आता जेसीबी तो बच जाती कई की जान
हादसे के बाद फ्लाईओवर निर्माण कार्य से जुड़े लोग मौके से भाग निकले। दरअसल, कई हजार टन वजनी बीम को सेतु निगम कंप्रेशर वाली भारी क्षमता की जेसीबी से उठवा कर पिलर पर रखवाता है। मगर, हादसे के बाद सेतु निगम के अधिकारियों ने अपनी जेसीबी नहीं मंगवाई और राहत-बचाव कार्य शुरू होने में ही घंटों लग गए।
देर से शुरू हुआ राहत कार्य, आधे घंटे बाद पहुंची पुलिस
बीम गिरने के बाद चंद कदम दूर तैनात पुलिस आधा घंटे बाद मौके पर पहुंची। इससे पहले स्थानीय लोगों ने ही फंसे लोगों को बाहर निकाला। यही वजह रही कि जब पुलिस ने बचाव कार्य शुरू किया तो स्थानीय लोगों का जबरदस्त विरोध झेलना पड़ा।
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो लगभग साढ़े पांच बजे दो बीम गिरीं। एईएन कॉलोनी व आसपास के लोगों ने किनारे दबे लोगों को कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला। इसके बाद अंदर फंसे लोगों को निकालने में जुट गए। लगभग छह बजे मौके पर फोर्स पहुंची। फिर भी स्थिति जस की तस रही।
साढ़े छह बजे के लगभग क्रेन मौके पर पहुंचीं। जाम और फिर बीम गिरने के स्थान पर जगह न होने की वजह से रेलवे कॉलोनी की बाउंड्री तोड़ी गई और बचाव कार्य शुरू हो पाया। एनडीआरएफ के आने के बाद बचाव कार्य में तेजी आई। लगभग साढ़े सात बजे लोगों को निकाला जाना शुरू हुआ।
यही नहीं, स्वास्थ्य विभाग की टीम भी साढ़े सात बजे मौके पहुंची। इससे लोगों को समय से इलाज नहीं मिल पाया। रेलकर्मी घायलों को लेकर रेलवे के अस्पताल पहुंचे पर वहां भी प्राथमिक उपचार नहीं मिल पाया। नतीजतन तमाम लोग खून बहने के बाद भी इलाज के अभाव में तड़पते रहे।
इंजीनियरिंग पर काला धब्बा
निर्माणाधीन फ्लाईओवर के दो बीम गिरने से हुआ हादसा बनारस के इंजीनियरिंग पर काला धब्बा बन गया है। इंजीनियरिंग से जुड़े जानकारों का मानना है कि सुरक्षा मानकों की अनदेखी और पिलर पर रखे बीम का संतुलन बिगड़ने के कारण दुर्घटना हुई है। हालांकि जिस पिलर पर बीम रखे हुए थे, वह पुरानी स्थिति में हैं
सेतु निगम के रिटायर्ड इंजीनियर आरके सिंह और पीडब्ल्यूडी के रिटायर्ड इंजीनियर केएम श्रीवास्तव का इंजीनियरिंग में पहला अध्याय सिखाया जाता है कि काम वाली साइट पर खून की एक बूंद नहीं गिरनी चाहिए।
हादसा इंजीनियरिंग की तकनीक पर सवाल खड़े करता है। सिंचाई विभाग के रिटायर्ड इंजीनियर वीके जायसवाल ने कहा कि जहां ओवरहेड काम होता है, वहां अधिक सावधानी बरती जाती है। काम कराने वाले ही बता सकते हैं कि वहां क्या कमी रह गई थी।
निर्माणाधीन चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर पर हादसे के बाद एक तरफ चीख-पुकार मची तो दूसरी तरफ अफरातफरी के बीच जाम की जकड़न में शहर कराह उठा। कैंट, लहरतारा मार्ग ब्लाक होते ही सभी प्रमुख मार्गों पर ट्रैफिक की रफ्तार थम गई। अंधरापुल-चौकाघाट से रथयात्रा, मलदहिया, मैदागिन, लंका से मंडुवाडीह तक सभी तिराहे-चौराहे जाम की चपेट में आ गए।
हादसे में मृतकों और घायलों को ट्रॉमा सेंटर और मंडलीय अस्पताल पहुंचाने में भी जाम के चलते खासी दिक्कतें हुईं। हालांकि तत्काल मुख्य मार्गों से गुजर रहे वाहनों को लिंक मार्गों पर डायवर्ट कर एंबुलेंसों के रास्ता खाली करा दिया गया।
इसके बाद मुख्य मार्गों के साथ ही लिंक मार्ग और उससे लगीं गलियाें में भी भीषण जाम लग गया। हालात संभालने के लिए कई मार्गों को वन-वे कर दिया गया और वैकल्पिक मार्गों पर डायवर्जन कर किसी तरह वाहनों का गुजारा गया लेकिन कैंट-लहरतारा होते हुए हाईवे से गुजरने वाले वाहनों का दबाव शहर में बढ़ने से स्थिति संभलाना टेढ़ी खीर बन गया।
कैंट के आगे रास्ता बाधित होने के बाद सिगरा-रथयात्रा, लंका होते हुए छोटे चारपहिया वाहन सामनेघाट पुल और डाफी के रास्ते हाईवे की तरफ निकल रहे थे। वहीं, हाईवे से शहर आने वाले यात्री वाहनों को मंडुवाडीह चौराहे से महमूरगंज तिराहा-सिगरा मार्ग होते हुए कैंट की तरफ निकाला जा रहा था।
इससे सड़कों पर यातायात का दबाव इतना अधिक हो गया कि पैदल चलने के लिए भी जगह नहीं मिल रही थी। रात नौ बजे के बाद किसी तरह स्थिति कुछ नियंत्रित हुई। हालांकि गलियों, लिंक मार्गों पर वाहनों का डायवर्जन जारी रहा और जगह-जगह जाम के चलते राहगीरों की मुश्किलें बनी रहीं।
एक-एक कर गिरीं बीम और क्रैक हो गईं
फ्लाईओवर के बीच वाली बीम पहले जमीन पर गिरी और बीच से क्रैक हो गई। इसी बीम के धक्के से किनारे वाली बीम भी सड़क पर गिरी और जाम के कारण नीचे खड़े वाहन दब गए। बीच वाली बीम क्यों गिरी और कैसे क्रैक हुई?
घटनास्थल पर पहुंचे सिविल इंजीनियरिंग के जानकारों का कहना था कि बीम को फ्लाईओवर के पिलर के ऊपर सही तरीके से नहीं रखा गया होगा। इसके बाद बीम की सेटिंग करने के दौरान रस्से से उसे खींचने के समय असावधानी बरती गई होगी और संतुलन बिगड़ने से वह जमीन पर गिर गई होगी। हालांकि जिला पुलिस और प्रशासन के अधिकारी यह नहीं बता पाए कि दोनों बीम कैसे जमीन पर गिरीं?
बीम गिरने के हादसे के पीछे सही एलाइंमेंट नहीं होना माना जा रहा है। मौके पर पहुंचे विकास प्राधिकरण और नगर निगम के अभियंताओं ने भी यह बात मानी कि फ्लाईओवर निर्माण के वक्त बीम रखने में एलाइंमेट सबसे अहम होता है। उसी में लापरवाही से यह हादसा हुआ है। कारण बीम रखने के दौरान दबाव बनता है और उससे प्रेशर बनता है। कई बार प्रेशर बनने से उसका बैलेंस बिगड़ने की आशंका रहती है।
आईआईटी बीएचयू, सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. बृंद कुमार ने कहा कि हादसे के पीछे इंजीनियरिंग की तकनीक का अभाव है। बीम गिरने के बाद वह टूटा नहीं, अगर गुणवत्ता खराब होती तो वह गिरने पर बीच से टूट जाता।
किसी भी बीम को जब जब पिलर पर रखते हैं, तो उसका दबाव बराबर होना बहुत जरूरी होता है। चूंकि समतल जमीन पर बीम को रखना नहीं था, ऐसे में बीम का दबाव एकतरफा हो गया और वह दबाव नहीं सह सका और गिर गया।