सांसदों और विधायकों से सीएम के ‘संवाद’ की भी निकाली अफसरों ने हवा
जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को जो काम बताए थे, उन्हें विभागों से रिपोर्ट के लिए भेजा गया था। लेकिन विभागीय अफसर रिपोर्ट देने की जगह चुप्पी साधकर बैठ गए हैं।
दरअसल, भाजपा के सांसद और विधायक लगातार शिकायत कर रहे थे कि उनके काम नहीं हो रहे हैं। चुनाव में स्थानीय स्तर पर किए गए वादों और जनहित से जुड़े तमाम जरूरी काम तक के लिए नीचे के अफसर नहीं सुन रहे।
जनप्रतिनिधियों की चिंता एक साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर है जिसमें उन्हें फिर से जनता के बीच जाना है। मुख्यमंत्री योगी ने इसके बाद संसदीय क्षेत्रवार सांसदों व विधायकों से मुलाकात की।
उनसे सरकार के कामकाज के फीडबैक लिए। उनके काम के प्रस्ताव लिए और प्राथमिकता पर कार्रवाई का आश्वासन दिया। 9000 से अधिक काम के प्रस्ताव दिए गए थे। इनमें सबसे ज्यादा काम लोक निर्माण विभाग से जुड़े हैं। 3000 से अधिक काम सड़क और पुल से संबंधित हैं।
शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्यमंत्री सचिवालय ने मार्च में प्रत्येक सांसद और विधायक के प्रस्तावों को संबंधित विभागों को भेजा था। विभागों से प्रस्तावों के औचित्य, उनकी उपादेयता और बजट की उपलब्धता को लेकर रिपोर्ट मांगी थी।
यह रिपोर्ट 24 मार्च तक मुख्यमंत्री को भेजी जानी थी, लेकिन सात-आठ छोटे विभागों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर ने कोई जवाब नहीं दिया है। इससे आगे की कार्रवाई ठप है।
बजट का आकलन कर तय होगी प्राथमिकता