May 3, 2024

संसद के शीतकालीन सत्र का समापन, दोनों ही सदनों में 15 विधेयक हुए पारित।

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र, 2019 का आज यानी 13 दिसम्‍बर, 2019 को समापन हो गया, जबकि 18 नवम्‍बर को इसका शुभारंभ हुआ था। इस सत्र के दौरान 26 दिनों की कुल अवधि के दौरान 20 बैठकें आयोजित की गईं।

शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में 18 विधेयक पेश किए गए। सत्र के दौरान लोकसभा में 14 विधेयक पारित हुए, जबकि राज्‍यसभा में 15 विधेयक पारित हुए। संसद के दोनों ही सदनों में 15 विधेयक पारित हुए, जो अब संसदीय अधिनियम बन जायेंगे। इस दौरान पेश एवं विचार-विमर्श किए गए और पारित विधेयकों के शीर्षकों की सूची यहां दी गई है।

लोकसभा में लगभग 116 प्रतिशत और राज्‍यसभा में तकरीबन 100 प्रतिशत कामकाज हुआ।

सत्र के दौरान वित्‍त वर्ष 2019-20 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों के प्रथम संग्रह पर विचार-विमर्श किया गया और दोनों ही सदनों में संबंधित विनियोग विधेयक के साथ इसे मंजूरी दी गई। इस दौरान वो दो विधेयक भी विचार-विमर्श के बाद पारित हो गए, जिन्‍होंने संबंधित अध्‍यादेशों का स्‍थान लिया है। संबंधित अध्‍यादेश ये हैंः (i) इलेक्‍ट्रॉनिक सिगरेट (उत्‍पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, ढुलाई, बिक्री, वितरण, भंडारण एवं विज्ञापन) प्रतिबंध अध्‍यादेश, 2019 और (ii) कराधान कानून (संशोधन) अध्‍यादेश, 2019। ये अध्‍यादेश राष्‍ट्रपति द्वारा जारी किए गए थे।

संसद के दोनों ही सदनों में पारित कुछ महत्‍वपूर्ण विधेयकों का उल्‍लेख नीचे किया गया हैः

सामाजिक न्‍याय और सुधार- भारत में सामाजिक एवं महिला-पुरुष समानता प्रणाली को और सुदृढ़ करने के लिए इस सत्र के दौरान कुछ विशेष विधेयक पारित किए गए। ट्रांसजेंडर व्‍यक्ति (अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 में ट्रांसजेंडर व्‍यक्ति को परिभाषित किया गया है और इसके साथ ही ट्रांसजेंडर व्‍यक्तियों के अधिकारों के संरक्षण एवं उनके कल्‍याण के लिए प्रावधान किए गए हैं। इलेक्‍ट्रॉनिक सिगरेट (उत्‍पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, ढुलाई, बिक्री, वितरण, भंडारण एवं विज्ञापन) प्रतिबंध विधेयक, 2019 का उद्देश्‍य ई-सिगरेट के साथ-साथ इसी तरह के उपकरणों के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, ढुलाई, बिक्री, वितरण, भंडारण एवं विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाना है, क्‍योंकि इनमें अत्यधिक नशे की लत वाला निकोटिन होता है। यह विधेयक सतत विकास लक्ष्‍यों, गैर-संचारी रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए राष्‍ट्रीय निगरानी फ्रेमवर्क और राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य नीति, 2017 में परिकल्पित लक्ष्‍यों की प्राप्ति में काफी मददगार साबित होगा। नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी एवं ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता पाने का पात्र बना देगा और इसके साथ ही उन्हें भारत में गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार देगा। आयुध अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2019 अवैध आग्‍नेयास्‍त्रों के उपयोग के जरिये किए जाने वाले अपराधों पर प्रभावकारी ढंग से रोक लगाने में मददगार साबित होगा और इसके साथ ही कानून का उल्‍लंघन करने वालों पर सख्‍ती के साथ लगाम लगाएगा।

प्रशासनिक क्षेत्र से जुड़े सुधार – दिल्‍ली के राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र की कुछ अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों के सम्‍पत्ति अधिकारों को मान्यता देने के लिए सरकार ने दिल्‍ली का राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र (अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों के सम्‍पत्ति अधिकारों को मान्यता) विधेयक, 2019 को कानून का रूप दे दिया है, जो इन निवासियों की एक महत्‍वपूर्ण जरूरत को पूरा करेगा। विशेष सुरक्षा समूह (संशोधन) विधेयक, 2019 के पारित हो जाने से एसपीजी अब प्रधानमंत्री एवं उनके सरकारी निवास पर उनके साथ रहने वाले उनके निकटतम परिजनों को सुरक्षा प्रदान करेगा। इसके साथ ही एसपीजी किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री के अपने पद से हटने की तिथि से लेकर पांच वर्षों की अवधि तक उन्‍हें आवंटित सरकारी निवास पर उनके साथ रहने वाले उनके निकटतम परिजनों को भी सुरक्षा प्रदान करेगा। संविधान (126वां संशोधन) विधेयक, 2019 का उद्देश्‍य अगले 10 वर्षों यानी 25 जनवरी, 2030 तक अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण को जारी रखते हुए समावेशी स्‍वरूप को बनाये रखना है, जैसा कि संविधान के संस्‍थापक सदस्‍यों द्वारा परिकल्‍पना की गई है।

आर्थिक क्षेत्र/कारोबार में सुगमता के उपाय – देश में आर्थिक स्थितियों को बेहतर करने के लिए कुछ महत्‍वपूर्ण विधेयक वर्तमान सत्र के दौरान पारित किए गए। कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2019 नए निवेश को प्रोत्‍साहित करेगा, विकास की गति तेज करेगा, अर्थव्‍यवस्‍था में नए रोजगार अवसर सृजित करेगा, पूंजी बाजार में स्थिरता लाएगा और पूंजी बाजार में धन का प्रवाह बढ़ायेगा। चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2019 चिट फंड सेक्‍टर का सुव्‍यवस्थित विकास सुनिश्चित करेगा, जिससे अन्‍य वित्‍तीय उत्‍पादों तक लोगों की वित्‍तीय पहुंच और भी अधिक बढ़ जाएगी। अंतर्राष्‍ट्रीय वित्‍तीय सेवा केन्‍द्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 भारत के अंतर्राष्‍ट्रीय वित्‍तीय सेवा केन्‍द्रों में वित्‍तीय सेवाओं के लिए एक बाजार विकसित करने और नियमन के लिए एक अंतर्राष्‍ट्रीय वित्‍तीय सेवा केन्‍द्र प्राधिकरण की स्‍थापना करेगा।
चार पुराने लम्बित विधेयकों को राज्‍यसभा में वापस ले लिया गया, जिनमें भारतीय चिकित्‍सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 1987; स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय मानव संसाधन आयोग विधेयक, 2011; भारतीय चिकित्‍सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2013 और अंतर्राष्‍ट्रीय वित्‍तीय सेवा केन्‍द्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 शामिल हैं।

लोकसभा में नियम 193 के तहत 2 अल्‍पा‍वधि परिचर्चाएं हुईं। इनमें से एक परिचर्चा ‘वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन’ पर हुई जिससे संबंधित जवाब पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने दिया। वहीं, दूसरी परिचर्चा ‘विभिन्‍न कारणों से फसलों को नुकसान और किसानों पर इसका असर’ पर हुई, जिससे संबंधित जवाब कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री ने दिया।

राज्‍यसभा में एक विशेष परिचर्चा ‘भारतीय राजनीति में राज्यसभा की भूमिका और आगे की राह’ पर हुई। इसी तरह नियम 176 के तहत एक परिचर्चा देश में आर्थिक हालात पर हुई। उधर, ‘देश, विशेषकर दिल्‍ली में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्‍तरों से उत्‍पन्‍न स्थिति’, ‘व्‍हाट्सएप के जरिये कुछ लोगों का फोन डेटा गलत ढंग से लेने के लिए पेगासस स्‍पाइवेयर का कथित उपयोग करना’ और ‘उभरते जल संकट से निपटने के लिए राष्‍ट्रीय सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने की जरूरत’ पर तीन ध्‍यानाकर्षण प्रस्‍ताव लाये गए। इसके अलावा ‘जल’ को ‘राज्‍य सूची से हटाकर समवर्ती सूची’ में डालने पर भी राज्‍यसभा में चर्चा की गई।

संविधान को अपनाने के 70 वर्ष पूरे होने का जश्‍न मनाने के लिए संसद के दोनों सदनों के सदस्‍यों के लिए 26 नवम्‍बर, 2019 को संसद के केन्‍द्रीय कक्ष में एक विशेष समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर राष्‍ट्रपति, उपराष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री, अध्‍यक्ष और संसदीय कार्य मंत्री ने उपस्थित हस्तियों को सम्‍बोधित किया। इसके अलावा, देश के सभी शैक्षणिक संस्‍थानों को युवा संसद कार्यक्रम के दायरे में लाने के लिए राष्‍ट्रीय युवा संसद योजना का एक वेब-पोर्टल राष्‍ट्रपति द्वारा लॉन्‍च किया गया।

संसद के दोनों सदनों में सुव्‍यवस्थित ढंग से कामकाज कराने की जवाबदेही से जुड़ी समस्‍त एजेंसियों और लोगों के अथक प्रयासों से ही शीतकालीन सत्र के दौरान अभूतपूर्व कामकाज संभव हो पाया है।


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