May 4, 2024

सीएस डा. संधू को सेवा विस्तार क्यों?

– क्या अपने प्रदेश में एक भी नौकरशाह इस पद के काबिल नहीं?
– केंद्र की गुडबुक के अलावा दो साल में ऐसी क्या उपलब्धि है, जिससे सेवा विस्तार मिला

गुणानंद जखमोला

मुख्य सचिव डा. एसएस संधू को 6 माह का सेवा विस्तार दिया गया है। क्यों? क्या वे देश की सीमा पर चीन या पाकिस्तान से लड़ने गये? क्या वे भारत रत्न या पदमश्री हैं। नौकरशाहों को सेवा विस्तार देने की यह परम्परा कब खत्म होगी? एक का सेवा विस्तार दूसरे के हक पर डाका होता है। यह डाका क्यों?

डा. संधू सीएस के पद पर दो साल से हैं। इस दौरान प्रदेश की नौकरशाही में क्या अच्छा हुआ? हाल में टिहरी के डीएम डा. सौरभ गहरवार का तबादला विवादित रहा। राजनीति से प्रेरित था। सीएस सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार उस समिति के मुखिया थे जो ब्यूरोक्रेट का दो साल से पहले तबादला करने के लिए ठोस कारण बताते। लेकिन सीएस ने केवल डा. गहरवार को तबादले के लिए ही मना सके, उनका तबादला रुकवा नहीं सके। सीएस तब भी कुछ नहीं बोले, जब चमोली में डीएम हिमांशु खुराना ने ग्रामीणों की उपेक्षा की। आज भी जोशीमठ आपदा प्रभावितों का न तो पुनर्वास हो सका और न ही विस्थापन।

सीएस डा. संघू तब भी चुप रहे जब पंकज पांडे को लोकनिर्माण विभाग का सचिव बना दिया। डा. संधू जानते थे कि पंकज पांडे एनएच घोटाले के आरोपी हैं। जिस विभाग में घोटाला हुआ, वहीं की जिम्मेदारी सौंप दी गयी। बिल्ली को दूध की रखवाली का जिम्मा दे दिया गया। सवाल यह भी है कि पिछले साल दस हजार युवाओं ने युवा महोत्सव में भाग लिया, कितने युवाओं को स्किल्ड बनाया गया? युवा महोत्सव से कितने युवाओं को रोजगार मिले? मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को सीधा संबंध जिलाधिकारियों से है। और जिलाधिकारियों के मुखिया डा. संधू हैं। बताएं कि कोरोना के दौरान 3 लाख 75 हजार प्रवासी अपने गांवों को लौटे थे, कितने लोगों को रोजगार दे पाए। युवाओं के स्वरोजगार के सपने ब्लाक, जिला और बैंक में फाइल के अंदर ही दम तोड़ देते हैं?

हाल में 400 शिक्षकों के तबादले हुए। किस आधार पर हुए? इतना हंगामा हो रहा है, कि बोली लगी। शिक्षा सचिव की क्या जिम्मेदारी थी। जिम्मेदारी तय की क्या? यूकेएसएसएसी के सचिव संतोष बडोनी को 10 महीने में भी चार्जशीट नहीं दी गयी। यदि चार्टशीट नहीं दी और क्लीन चिट दे दी तो ज्वाइनिंग क्यों नहीं दी? तय कौन करेगा? सचिवालय में कामकाज के लिए पारदर्शिता कहां है? यहां तक कि मीडिया को भी अब सचिवालय में नहीं आने दिया जाता। सचिवालय के कामकाज की मानीटरिंग कौन करेगा?

प्रदेश के विकास में किसी भी प्रदेश के मुख्य सचिव की अहम भूमिका होती है। डा. संधू ने पिछले दो साल में केवल केंद्रीय योजनाओं को लेकर ही रुचि दिखाई। नौकरशाही की कार्यप्रणाली में बदलाव तो नजर आया नहीं। न ही नौकरशाहों के रवैए में ही सुधार दिखता है। तो ऐसे में सेवा विस्तार क्यों? महज इसलिए कि गुड बुक में है। क्या सरकार को एक भी सीनियर ब्यूरोक्रेट इस काबिल नहीं लगा कि वह प्रदेश संभाल लेगा? अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की योग्यता पर संदेह है क्या? उनकी उपेक्षा क्यों हो रही है? क्या इसलिए कि वह एक महिला हैं, चीफ सेक्रेटी नहीं बन सकती? यदि यह मानसिकता है तो यह मानसिकता कब बदलेगी?

वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला के फेसबुक वाल से साभार


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