May 18, 2024

नत्थी वीजा का क्या है मतलब, भारत के टोकने के बाद भी चीन क्यों नहीं मानता?

भारत ने चेंगदू में शुरू होने वाले ग्रीष्मकालीन विश्व यूनिवर्सिटी खेलों से अपने आठ एथलीट वुशु दल को चीन भेजने से रोक दिया. इससे पहले चीन ने अरूणाचल प्रदेश के तीन वुशु खिलाड़ियों को चीनी दूतावास से ‘नत्थी वीजा’ जारी किया था.

दरअसल काफी समय से टालमटोल कर रहे चीन ने बुधवार को उनके लिए नत्थी वीजा जारी किया था. इस पर विरोध जताते हुए भारत ने पूरी टीम ही चेंगदू भेजने से रोक दी.

एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआईयू) की वूशु टीम के अन्य पांच सदस्य 28 जुलाई से शुरू हो रहे खेलों के लिए रवाना होने देर रात दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे थे. लेकिन वो जहाज पर सवार नहीं हुए.

चीन ने अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के भारतीय नागरिकों को नत्थी वीजा जारी करने की प्रथा बना दी है. बीते समय में भी एशियाई और विश्व संचालन संस्था के अंतर्गत होने वाली प्रतियोगिताओं में चीन ने अरूणाचल प्रदेश के खिलाड़ियों को ‘नत्थी वीजा’ जारी किया था.

नत्थी वीजा क्या है?

किसी भी देश के नागरिक को दूसरे देश की यात्रा करने के लिए उस देश से अनुमति लेनी पड़ती है, जिसे वीजा कहते हैं. इसे ऐसे समझिए कि अगर किसी दूसरे देश के नागरिक को भारत की खूबसूरती देखने के लिए यहां आना होता है तो उन्हें टूरिस्ट वीजा दिया जाता है.

इसी तरह हर देश के अलग-अलग तरह के वीजा हैं और उनके अलग-अलग नियम-कानून हैं. चीन कई तरह के वीज के साथ-साथ नत्थी वीजा भी जारी करता है.

इस वीजा में इमिग्रेशन ऑफिसर पासपोर्ट पर स्टाम्प नहीं लगाता, बल्कि अलग से एक कागज या पर्ची को पासपोर्ट के साथ स्टेपल कर देता है. जिसे नत्थी करना भी कहते हैं. स्टाम्प का लगा होना ये बताता है कि आप उनके देश किस मकसद से जा रहे हैं.

नत्थी वीजा में एक कागज अलग से पासपोर्ट के साथ नत्थी होता है . इस कागज चीन में जाने का उद्देशय लिखा होता है. इमिग्रेशन ऑफिसर उस कागज पर स्टाम्प लगाते हैं.

चीन अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के भारतीय नागरिकों को नत्थी वीजा जारी करता है. लेकिन इस बार भारतीय सरकार ने इसे स्वीकार करने से मना कर दिया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बृहस्पतिवार को कहा था कि नत्थी वीजा जारी करना अस्वीकार्य है. हमने इस मामले में अपना सतत रुख दोहराते हुए चीनी पक्ष के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है.

बागची ने कहा कि भारत का लंबे समय से यह रुख रहा है कि वैध भारतीय पासपोर्ट रखने वाले भारतीय नागरिकों के लिए वीजा व्यवस्था में अधिवास या जातीयता के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए.

अधिकारियों ने कहा, ‘पूरे वुशु दल को यहां रुकने और सरकार से निर्देश का इंतजार करने के लिए कहा गया है. यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है ’. विश्व यूनिवर्सिटी खेलों में वुशु स्पर्धा 29 जुलाई से तीन अगस्त तक होंगी. बीते समय में भी अरूणाचल प्रदेश के खिलाड़ी ‘नत्थी वीजा’ की वजह से चीन में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने से महरूम रहे हैं.

चीन क्यों जारी करता है नत्थी वीजा

इसकी वजह अरुणाचल प्रदेश है. चीन अरुणाचल प्रदेश पर भारत की स्पष्ट और अंतरराष्ट्रीय रूप से स्वीकृत का विरोध करता है. चीन मैकमोहन रेखा की कानूनी स्थिति को चुनौती देता है.

ये तिब्बत और ब्रिटिश भारत के बीच की सीमा है जिस पर 1914 के शिमला कन्वेंशन में ग्रेट ब्रिटेन, चीन और तिब्बत के बीच कन्वेंशन में सहमति हुई थी. चीन इस पर असहमती जताता है.

चीन अरुणाचल प्रदेश के करीब 90,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अपना दावा करता है. चीन इस क्षेत्र को चीनी भाषा में “जांगनान” कहता है. चीनी मानचित्र अरुणाचल प्रदेश को चीन के हिस्से के रूप में दिखाते हैं. कभी-कभी इसे “तथाकथित अरुणाचल प्रदेश” के रूप में संदर्भित भी करता है.

चीन भारतीय क्षेत्र पर इस एकतरफा दावे को रेखांकित करने और भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर भारत की संप्रभुता को कमजोर करने के लिए समय-समय पर कोशिशें भी करता आया है.

इन प्रयासों के रूप में चीन अरुणाचल प्रदेश में कई जगहों के लिए चीनी नामों की लिस्ट जारी करता है – इसने 2017, 2021 और इस साल अप्रैल में ऐसी तीन लिस्ट जारी की हैं – और नत्थी वीजा जारी करने जैसे कदम उठाए हैं.

यह प्रथा कब से चली आ रही है?

भारत के पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले ने अपनी किताब ‘आफ्टर तियानमेन : द राइज ऑफ चाइना’ में कहा है कि चीन के सरकारी मीडिया ने 2005 से अरुणाचल प्रदेश को ‘दक्षिण तिब्बत’ कहना शुरू कर दिया था.

चीन ने 2006 के अंत में अरुणाचल प्रदेश में सेवारत भारत सरकार के एक अधिकारी को वीजा देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद उन्होंने अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के सभी भारतीय नागरिकों को ‘स्टेप्लेड’ वीजा जारी करने की प्रथा शुरू की .

मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिए नत्थी वीजा 2008-09 के आसपास शुरू हुआ था. 2013 में द न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक कश्मीरी व्यक्ति की जानकारी प्रकाशित की थी, जिसने दावा किया कि उसे नई दिल्ली में चीनी दूतावास द्वारा नत्थी वीजा जारी किया गया था और सितंबर 2009 में हवाई अड्डे पर रोक दिया गया था.

साल 2010 में चीन ने उत्तरी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बी एस जसवाल को एक आधिकारिक बैठक में शामिल होने के लिए  रोक दिया था. चीन ने उन्हें इस आधार पर वीजा देने से इनकार कर दिया था कि वह ‘संवेदनशील’ जम्मू-कश्मीर में काम करते हैं.

साल 2011 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ के बीच निर्धारित बैठक हुई थी. इससे पहले मीडिया की खबरों में चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारी होंग लाई के हवाले से कहा गया था कि चीन नत्थी वीजा जैसे मुद्दों पर दोस्ताना विचार-विमर्श करने और उनसे उचित तरीके से निपटने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है.

2011 में विदेश राज्य मंत्री ई अहमद ने राज्यसभा को बताया था कि भारत सरकार को इस बात की जानकारी थी कि ‘भारत सरकार के कड़े विरोध के बावजूद भारत में चीनी दूतावास ने फिर से जम्मू-कश्मीर के लोगों को नत्थी वीजा जारी किया है. इस समय भारतीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएफ) के एक अधिकारी को एक प्रसिद्ध भारोत्तोलक के साथ बीजिंग की उड़ान में सवार होने की अनुमति नहीं दी गई थी.

अहमद ने ये भी कहा था कि सरकार का यह रुख है कि भारतीय राष्ट्रीयता के वीजा आवेदकों के साथ अधिवास और जातीयता के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए.

कई मौकों पर इस बारे में चीनी सरकार को स्पष्ट रूप से बताया भी गया है. दिसंबर 2010 में चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की भारत यात्रा में भी इसका जिक्र किया गया था. यही रुख विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को भी दोहराया .

अहमद ने संसद को यह भी सूचित किया कि 12 नवंबर, 2009 को एक परामर्श जारी किया गया था. इसमें भारतीय नागरिकों को आगाह किया गया था कि पासपोर्ट पर नत्थी चीनी कागजी वीजा को देश से बाहर यात्रा के लिए वैध नहीं माना जाता है.

इसके बावजूद जुलाई 2011 में क्वानझोउ में एशियाई कराटे चैंपियनशिप में भाग लेने के इच्छुक अरुणाचल प्रदेश के पांच कराटेखिलाड़ियों को नत्थी वीजा जारी किया गया था.

2013 मे अरुणाचल प्रदेश की दो युवा महिला तीरंदाजों, मासेलो मिहू और सोरंग युमी को वुशी में युवा विश्व तीरंदाजी चैम्पियनशिप में भाग लेना था. इन दोनों तो हवाई अड्डे पर रोक दिया गया था, क्योंकि उन्हें चीनी द्वारा नत्थी वीजा जारी किया गया था.

2016 में भारतीय बैडमिंटन टीम के प्रबंधक बमांग तागो ने कहा कि उन्हें चीन सुपर सीरीज प्रीमियर टूर्नामेंट के लिए फुझोउ की यात्रा करने के लिए चीनी वीजा नहीं मिला क्योंकि वह अरुणाचल प्रदेश से थे.

नत्थी वीजा एक संवेदनशील मुद्दा 

साफ है कि नत्थी वीजा मुद्दा अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी गतिरोध की याद दिलाता है. अरुणाचल प्रदेश के भारतीयों को नत्थी वीजा जारी करके चीनी सरकार दोहराती है कि वह राज्य पर भारत के दावे को मान्यता नहीं देती है.

भारत सरकार का कहना है कि ‘नत्थी वीजा’ मुद्दा एक राजनीतिक उपकरण है जिसका इस्तेमाल चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताने के लिए करता है.


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