May 4, 2024

कसमें खिलाने के बाद भी क्यों लुढ़का मत प्रतिशत? दस्तावेज ने तलाशी कम मतदान की बड़ी वजह!

देहरादून। लोकसभा चुनाव के पहले दौर के मतदान में वोट प्रतिशत की चर्चा है। बताया जा रहा है कि इस बार वोट प्रतिशत पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले वोट कम रहा। सत्ता पक्ष के लोगों ने वोट प्रतिशत कम होने की वजह विपक्ष को बताया है। पक्ष-विपक्ष इस गिरे वोट प्रतिशत को अपने पक्ष में बता रहे है।

उधर, चुनाव आयोग के जिम्मेदार कम वोट प्रतिशत के लिए शुक्रवार का दिन, बढ़ती गर्मी और शादियों को जिम्मेवार बता रहे हैं। इस बार चुनाव आयोग ने 75 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य रखा था। सरल भाषा में समझे तो हर 100 मतदाताओं में 75 मतदाताओं को मतदान का लक्ष्य रखा। चूनाव आयोग ने 75 फीसदी मतदान का लक्ष्य रखकर स्वीप के तहत मतदान जागरूकता के लिए तमाम कार्यक्रम किये। यहां तक मतदाताओं को कसमें भी खिलाई, लेकिन वोट हुआ 57 प्रतिशत। यानि की हर सौ मतदाताओं में केवल 57 मतदाता ही वोट करने को निकले। यानि कसम खाने के बाद 43 प्रतिशत लोगों पर कोई असर नहीं हुआ। सभी जानकार लोग इसकी वजह तलाश कर रहे हैं।

आपके लोकप्रिय समाचार पोर्टल ‘दस्तावेज’ ने भी कम मतदान की वजह तलाशी। काफी शोध-रिसर्च के बाद दस्तावेज को कम मतदान की वजह हाथ लगी। कम मतदान की वजह है चुनाव आयोग का मतदान का टारगेट। जी हां, चुनाव आयोग ने मतदान का जो लक्ष्य रखा वह काफी छोटा था। आयोग के जिम्मेदार भी बार-बार 75 प्रतिशत का लक्ष्य को दोहरा रहे थे। जब लक्ष्य ही 75 प्रतिशत था तो मतदान ने 56-57 प्रतिशत पर आकर अटकना ही था।

राजनीति विज्ञान के हमारे गुरूजी बताते थे कि अपना लक्ष्य हमेशा ऊंचा रखो। लक्ष्य ऐसा हो कि वो असंभव सा लगे। लेकिन ऊंचा लक्ष्य रखने में हिचको मत। वो मिसाल देखकर बताते भी थे कि यदि आप देश का प्रधानमंत्री बनने का लक्ष्य रखते हो और उसपर मेहनत करते हो तो एक दिन तुम कुछ नहीं ग्राम प्रधान बन ही जाओगे। और यदि लक्ष्य ही आपका ग्राम प्रधान बनना हो तो पार्षद भी क्या क्लास के मॉनीटर भी नहीं बन सकते।

गुरूजी के इस कथन को याद करने के बाद दस्तावेज इस नतीजे पर पहुंचा है कि चुनाव आयोग को लोकसभा चुनाव में ज्यादा नहीं, तो कम से कम 100 फीसदी मतदान का लक्ष्य रखना चाहिए था। जिससे मतदान ज्यादा नही तो  70-75 प्रतिशत हो सकता था।


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