May 12, 2024

यूटीयूः भारत में नवीन आपराधिक और सूचना प्रौद्योगिकी विधि विकास’ विषय पर एफडीपी का शुभारम्भ

वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्याल (यू0टी0यू0) के नवस्थापित एकैडमिक स्टॉफ डेवलॉपमेन्ट सेन्टर द्वारा ‘‘भारत में नवीन आपराधिक और सूचना प्रौद्योगिकी विधि विकास’’ विषय पर ‘‘फैकल्टी डेवलॉपमेेन्ट कार्यक्रम की शुरूआत 15 जनवरी, 2024 को विश्वविद्यालय के सभागार हुई जो एक एक सप्ताह (15-20 जनवरी) चलेगा।

तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा अपने सम्बद्ध संस्थान के लॉ/विधि पाठ््यक्रमों के शिक्षकों के लिए एक सप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम की है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भारतीय दण्ड संहिता सहित हाल ही में देश की संसद द्वारा ब्रिटिशकालीन सी.आर.पी.सी., आई.पी.सी. की जगह भारत में स्थापित नए कानूनों पर फोकस कर शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का प्रयास विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है।
सर्वप्रथमकार्यक्रम के उदघाटन के दौरान कार्यक्रम सहसंयोजक डॉ0 शराफत अली प्रिंसिचल सिद्धार्थ लॉ कालेज ने मुख्य अतिथि और रिसोर्स पर्सन का परिचय कराते हुए फैकल्टी डेवलॉपमेेंट प्रोग्राम का परिचय देेते हुए नये आपराधिक कानून का सूक्ष्म जानकारी देते हुए कार्यक्रम की शुरूआत हुइ।

इस कार्यक्रम की शुरूआत बतौर मुख्य अतिथि डॉ0 पी0पी0 ध्यानी, पूर्व कुलपति श्रीदेवसुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय व वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने दीप प्रज्जवलित कर की। बतौर मुख्य अतिथि डॉ0 ध्यानी ने अपने सम्बोधन में कहा कि तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा काूननी विषय पर फैकल्टी डेवलॉपमेंट कार्यक्रम आयोजित कर बहुत की सरहनीय कार्य किया है।डॉ0 ध्यानी ने भारतीय न्याय सहित 2023 को भारतीय संस्कृति के अनुकूल बताया।

डॉ0 ध्यानी ने प्राचीन भारतीय ग्रंथों का उदाहरण देते हुए तर्क दिया कि ब्रिटिश संसद द्वारा बनाए गए कानूनों की उपयोगिता सौ से अधिक वर्षों में भारत और पड़ोसी देशों में बहुत कम हो गई है। इसलिए बदलती हुई परिस्थितियों मंे भारतीय दंडसंहिता, दंड़ प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में बदलाव की आवश्यकता थी। इसी कारण भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 बनाए गए हैं।

उन्होंने आगे अपने उदबोधन में कहा कि प्रदेश ही नहीं बल्कि देश मे ंकिसी विश्वविद्यालय द्वारा अब तक कानूनी विषय पर इस तरह का कार्यक्रम आयोजित करना गर्व की बात है।

तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 ओंकार सिंह ने फैकल्टी डेवलॉपमेंट प्रोग्राम के उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय से सम्बद्ध सभी लॉ पाठ्यक्रमों के शिक्षकों से आह्वान किया कि वर्तमान परिदृष्य में जबकि दुनिया में टैक्नोलॉजी में तेजी से बदलाव हो रहा है और युवा पीढ़ी भी उसी तेजी से बदलती टैक्नोलॉजी को अपना रही है। टैक्नोलॉजी के इस बदलाव के दौर में देश के नागरिकों की सुरक्षा में कानूनी समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। इसी परिप्रेक्ष्य में कानून के शिक्षकों से अपेक्षा की जाती की वर्तमान में बदले कानूनों के बारे में स्वयं के प्रशिक्षित होने के साथ ही अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को ठीक से शिक्षित करने में एक शिक्षक को महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए कॉलेजों से कानून की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने और कानूनी कार्यक्रमों में उत्कृष्टता का केन्द्र स्थापित करने में अपना शत प्रतिशत प्रयास करना होगा।

प्रो. सिंह ने विश्वविद्यालय के विधि छात्र-छात्राओं को भारत में नए कानूनों पर विस्तृत विमर्श में जोड़ने के लिए शिक्षकों का आह्वान किया।साथ ही एकैडमिक स्टाफ डेवलपमेंट सेन्टर में विश्वविद्यालय के शिक्षकों को सतत रूप से आधुनिक बदलावों के प्रति जागरूक करने हेतु पुरजोर कोशिश किए जाने की अपेक्षा की ताकि छात्रोें को समकालीन परिवर्तनों व चुनौतियों से निबटने के लिए तैयार किया जा सके।
फैकल्टी डेवलॉमेंट प्रोग्राम के रिसोर्सपर्सन प्रो0 एस0 डी0 शर्मा (सेवानिवृत्त) कुमांऊ विश्वविद्यालय विधि विभाग ने अपने सम्बोधन में नवीन कानूनों और उनकी प्रक्रियाओं की सूक्ष्मताओं के बारे में बताया। प्रो0 शर्मा ने अनेक न्यायिक निर्णयों का उदाहरण देते हुए आईपीसी, सीआरपीसी की कमियों को गिनाया और नये कानूनों में उन कमियों को कैसे दूर किया गया इस पर कार्यक्रम में चर्चा की।

प्रो0 शर्मा ने विधिक शिक्षा में कानूनी शब्दावली के उपयुक्त प्रयोग की आवश्यकता पर भी बल दिया और कहा कि विभिन्न कानूनों में प्रयुक्त विधिक शब्दावली को मिलाकर अर्थ निकाला जाना चाहिए, जिससे उचित कानूनी समझ उत्पन्न होगी।
कार्यक्रम के उदघाटन सत्र में विश्वविद्याय के रजिस्ट्रार प्रो0 सत्येन्द्र सिंह तथा विभिन्न लॉ कॉलेजों के 30 प्रतिभागियों सहित इस कार्यक्रम के कोऑरिनेटर डॉ राहुल बहुगुणा, डॉ. संदीप नेगी व सह कॉरडिनेटर डॉ0 शराफत अली आदि मौजूद रहे।

 


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