May 20, 2024

उत्तराखण्डः वनाग्नि पर जिम्मेदारों की ‘बंदरकूद’ जारी, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

देहरादून। वनाग्नि को रोकने में लापरवाही बरतने पर वन विभाग के 10 कार्मिकों को निलम्बित किया गया है। जिम्मेदारों की तरफ से ये फैसला किसी ‘बंदर कूद’ से कम नहीं लगता है। ये फैसला उस वक्त लिया गया है जब आग बुझाने के तमाम परम्परागत और आधुनिक तरीकों के साथ ही वायुसेना के हेलीकॉप्टरों से पानी के छिड़काव के बाद भी आग बुझाने में वन विभाग नाकाम हो गया है। और विपक्षी दल और जागरूक संगठन लगातार वनाग्नि के मुद्दे पर राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे है।

वन विभाग माने तो इस फायर सीजन में यानी 15 फरवरी से 6 मई तक राज्य में जंगलों में आग की 910 घटनाएं हो चुकी थी। इन घटनाओं में 1144 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल चुका था। जंगलों की आग के कारण 5 लोगों की मौत हो जाने की भी सूचना है।

ये है बड़े सवाल

बुधवार को लापरवाही बरतने में विभाग 10 कार्मिकों को निलम्बित किया गया है। जिन निलम्बित कार्मिकों पर ये कार्रवाई हुई है वे विभाग के छोटे कर्मचारी हैं। वन विभाग के बड़े अफसर जो नीति निर्धारित करते हैं उन पर अभी तक कोई कार्रवाई की खबर नहीं है। ऐसे में कई बड़े सवाल खड़े होते हैं। फायर सीजन से पहले वन विभाग के बड़े अफसरों ने आग से जंगलों के बचाव के लिए क्या नीति निर्धारित की? जो नीति उन्होंने निर्धारित की तो उसका असर धरातल पर क्यों नहीं दिखा? इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? वन मंत्री कहां है? प्रदेश में वनाग्नि आपदा सरीखे हो चुकी है। आपदा प्रबंधन के जिम्मेदार कहां है? विभाग के छोटे कर्मचारियों पर कार्यवाही कर जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने भी जताई चिंता

उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बुधवार को जंगल की भीषण आग पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी। सरकार ने कहा कि वनाग्नि से राज्य में 0.1 प्रतिशत वन्यजीव क्षेत्र जल चुका है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि केवल क्लाउड सीडिंग औऱ बारिश के भरोसे बैठे रहना ठीक नहीं।

राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को जानकारी देते हुए बताया कि पिछले साल (2023) नवंबर से उत्तराखंड में जंगल में आग लगने की 398 घटनाएं हुई हैं और वे सभी मानव निर्मित थीं। वनाग्नि के संबंध में 350 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और उनमें 62 लोगों को नामित किया गया है। वकील ने कहा कि प्राप्त जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड का 40 प्रतिशत हिस्सा आग की चपेट में है लेकिन वन्यजीव क्षेत्र का केवल 0.1 प्रतिशत हिस्सा आग में जलने की अंतरिम स्थिति रिपोर्ट है।

इस पर दो जजों की बेंच ने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं के बीच ‘क्लाउड सीडिंग या बारिश पर निर्भर रहना इस मुद्दे का जवाब नहीं है। सरकार को कुछ और प्रभावी कदम उठाने चाहिए। बेंच ने राज्य सरकार और याचिकाकर्ता से कहा कि दोनों पक्ष इससे जुड़ी रिपोर्ट सेंट्रल एंपावर्ड कमेटी के सामने रखें, जो इस पर अपनी राय देगी। बेंच ने इस मामले की सुनवाई को 15 मई तक के लिए टाल दिया।


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