April 27, 2024

चुनाव लड़ने जो पहुंचा हरिद्वार, उसका हुआ राजनीति में उद्दार

देहरादून। हरिद्वार लोकसभा सीट प्रदेश की सबसे हॉट सीट मानी जा रही है। यहां भाजपा से पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत, कांग्रेस से पूर्व सीएम हरीश रावत के पुत्र वीरेन्द्र रावत, निर्दलीय विधायक उमेश कुमार चुनावी मैदान में है।

हरिद्वार संसदीय सीट के चुनावी इतिहास की बात करें तो इस सीट से बसपा सुप्रीमो मायावती से लेकर पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान तक हरिद्वार से चुनाव लडे़ हैं। 1987 के उपचुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती और लोकजन शक्ति पार्टी के रामविलास पासन ने हाथ अजमाया था।

साल 1977 में वजूद में आई हरिद्वार लोकसभा सीट ने राजनीति के परिदृष्य से नेपथ्य में चल रहे राजनेताओं को ताज पहनाकर उनके राजनीतिक भविष्य का उदय किया। भले ही उनकी यहां हार हुई या जीत इस सीट से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का इतिहास रहा है कि उन्हें केन्द्र और राज्य में नई जिम्मेदारी मिली। कुछ तो मुख्यधारा की राजनीति के शिखर पर जा पहुंचे।

हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले राजनेताओं की लम्बी फेहरिस्त है। उनमें प्रमुख रूप से बसपा सुप्रीमो मायावती, पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्वर्गीय राम विलास पासवान, पूर्व मुख्य मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, पूर्व सीएम हरीश रावत और अब पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत यहां से 2024 के आम चुनाव में भाजपा के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं।

साल 1984 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के सुंदरलाल चुनाव जीते थे। उनके निधन के बाद 1987 के उपचुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती और लोक जन शक्ति पार्टी के रामविलास पासवन ने हाथ अजमाया। चुनाव परिणाम घोषित हुए तो कांग्रेस के राम सिंह भारी मतों से चुनाव जीत गए। बसपा सुप्रीमों मायावती दूसरे स्थान पर रही।
इस चुनाव में राम विलाल पासवन को 34.225 वोटों से संतोष करना पड़ा। पासवान ने यह चुनाव जनता पार्टी के टिकट पर लड़ा था। इसके बाद 1989 में रामविलास पासवान बिहार के हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीते और विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में केन्द्रीय मंत्री बने।

मायावती हरिद्वार से चुनाव हारने के बाद बिजनौर संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद मायावती 1995 में पहली बार देश के सबसे बड़े राज्य यूपी की मुख्यमंत्री बनी।

पूर्व सीएम हरीश रावत अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र से भाजपा के बची सिंह रावत से 1991, 1996, 1998 और 1999 का लोकसभा चुनाव हार चुके थे। इसके बाद उन्होंने साल 2009 में हरिद्वार से चुनाव लड़ा और भारी मतों से चुनाव जितें। एवं मनमोहन सरकार में केन्द्रीय मंत्री बने।

पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक ने हरिद्वार से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और सांसद बने। 2019 में पुनः निशंक हरिद्वार से चुनाव मैदान में उतरे और जीत दर्ज कर मोदी सरकार में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री बने।

2021 में उत्तराखण्ड के पूर्व सीएम रहे त्रिवेन्द्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी। इसके बाद त्रिवेन्द्र ने विधानसभा का चुनाव भी नहीं लड़ा। अब लोससभा चुनाव में त्रिवेन्द्र हरिद्वार से चुनाव लड़े रहे हैं।


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