April 29, 2024

दवाओं-वैक्सीन की गुणवत्ता जांच के लिए उत्तराखंड की दूसरे राज्यों पर निर्भरता जल्द होगी खत्म

दवाओं-वैक्सीन की गुणवत्ता जांच के लिए उत्तराखंड की दूसरे राज्यों पर निर्भरता जल्द ही खत्म हो जाएगी। इसके लिए रुद्रपुर में स्वास्थ्य विभाग की लैब को अत्याधुनिक बनाया जाएगा। केंद्र सरकार इसके आधुनिकरण के लिए 25 करोड़ रुपये देगी।  अभी दवाओं की जांच के लिए, नमूने चंडीगढ, हिमाचल जैसे अन्य राज्यों की लैब को भेजे जाते हैं। जिनकी जांच रिपोर्ट मिलने में महीनों लगते है। सरकार का मानना है कि नकली दवाईयों के खिलाफ प्रभावी और त्वरित कार्रवाई लिए यह बड़ी जरूरत और फार्मा सेक्टर की यह बड़ी डिमांड भी थी। गौरतलब है कि उत्तराखंड में फार्मा सेक्टर की कई कंपनियां बड़े पैमाने पर दवा उत्पादन कर रहीं हैं।

 दरअसल, रुद्रपुर में जो लैब है, उसकी हालत बेहद खराब है। भवन जीर्णशीर्ण हो चुका है, लैब में नाम मात्र के ही टेस्ट हो सकते हैं। राज्य में सप्लाई होने वाली दवाइयों और वैक्सीन के क्वालिटी टेस्ट के लिए कोई अन्य व्यवस्था भी नहीं है। ऐसे में दवाओं और अन्य जांचों के लिए दूसरे राज्यों का मुंह ताकना पड़ता है। हाल ही मसूरी में केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के साथ राज्य स्वास्थ्य महकमे की कांफ्रेंस हुई थी।

कांफ्रेंस में राज्य में बिकने वाली दवाइयों की गुणवत्ता जांच में होने वाली परेशानियों से जुड़ा मामला भी कांफ्रेंस के एजेंडे में शामिल था। इस मुद्दे पर सहमति बनने के बाद स्वास्थ्य सचिव नीतेश झा ने रुद्रपुर लैब को दुरुस्त करने के लिए केंद्र के साथ एमओयू करने का प्रस्ताव भेजा, जिस पर बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार ने सहमति दे दी। इसके तहत लैब के आधुनिकीकरण के लिए कुल 28.14 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिसमें से केंद्र सरकार 25 करोड़ 32 लाख रुपये देने को तैयार हो गई है। इस रकम से लैब में अत्याधुनिक उपकरण और फर्नीचर खरीदने के साथ ही सिविल और अन्य अवस्थापना कार्य कराए जाएंगे। 

ये होंगे फायदे
– जल्द मिल सकेगी दवाइयों-वैक्सीन की रिपोर्ट 
 – क्वालिटी कंट्रोल में मदद मिलेगी
-नकली दवाइयों की धरपकड़ में तेजी आएगी
– निगरानी और सतर्कता हो जाएगी आसान 

फार्मा इंडस्ट्री को होगा बड़ा फायदा
राज्य के सेलाकुई, भगवानपुर हरिद्वार और पंत नगर में फार्मा इंडस्ट्री से जुड़ीं लगभग 260 इकाइयां हैं, जिनमें सालाना 12 हजार करोड़ का दवा उत्पादन होता है। रुद्रपुर की लैब से राज्य के फार्मा सेक्टर को बड़ा लाभ होगा। दरअसल, राज्य और राज्य के बाहर दवाइयों की सप्लाई के लिए, उनकी गुणवत्ता से जुड़ी तमाम आवश्यक जांचों से जुड़े नमूने बाहर भेजने पड़ते हैं। आधुनिकीकरण के बाद रुद्रपुर लैब से ही यह औपचारिकताएं पूरी हो सकेंगी। 

जौलीग्रांट अस्पताल चलाएगा टिहरी का जिला अस्पताल 
टिहरी के जिला अस्पताल का संचालन अब जौलीग्रांट अस्पताल करेगा। वर्ल्ड बैंक के एक प्रोजेक्ट के तहत इसकी सहमति दे दी गई है। यह तय हुआ है कि जिले की बेलेश्वर और देवप्रयाग सीएचसी के अलावा मरीजों को जिला अस्पताल रेफर करने के लिए तीन मोबाइल यूनिट लगाई जाएंगी। जिला अस्पताल में सिटी स्कैन सहित तमाम आधुनिक मशीनें भी लगाई जाएंगी। राज्य सरकार यहां से अपना ज्यादातर स्टाफ हटाकर अन्य अस्पतालों में तैनात करेगा। केवल मेडिकोलीगल केस  लिए तीन-चार लोगों को रखा जाएगा। जौलीग्रांट अस्पताल ही अब पूरी तरह यहां का कामकाज देखेगा। मरीजों के लिए चिकित्सीय सुविधा पूरी तरह मुफ्त होगी। इसका भुगतान वर्ल्ड बैंक और राज्य सरकार 80 और 20 प्रतिशत के अनुपात में करेंगे। 

राज्य के स्वास्थ्य सेक्टर के लिए दोनों ही बड़ी उपलब्धियां हैं। एक ओर जहां रुद्रपुर लैब के आधुनिकीकरण और सुदृढीकरण से दवाइयों, वैक्सीन आदि की जांच बेहद कम समय में हो सकेगी, वहीं टिहरी में वर्ल्ड बैंक का प्रोजेक्ट शुरू होने से वहां स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होंगी।
– नितेश झा, सचिव, स्वास्थ्य


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com