नए साल से उत्तराखण्ड में महंगा होगा सफर , बस,टैक्सी,ऑटो का बढ़ेगा किराया
उत्तराखंड में नए साल में प्राइवेट वाहनों में सफर करना महंगा हो सकता है। रोडवेज की तर्ज पर बस, टैक्सी, मैक्सी, सिटी बस, ऑटो-विक्रम का किराया दस फीसदी तक बढ़ सकता है। इसके लिए राज्य परिवहन प्राधिकरण ने 18 दिसंबर को बैठक बुलाई है। इस बैठक में किराया बढ़ाने सहित कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर फैसला होगा।
उत्तराखंड परिवहन निगम ने अक्तूबर प्रथम सप्ताह में अपनी बसों का किराया दस फीसदी बढ़ा दिया था। इसके बाद से गढ़वाल और कुमाऊं में सेवाएं देने वाली निजी परिवहन कंपनियां, टैक्सी यूनियन, सिटी बस, ऑटो-विक्रम यूनियन भी दस फीसदी किराया बढ़ाने की मांग रहे हैं। इस पर एसटीए ने आरटीओ पौड़ी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। अब एसटीए ने 18 दिसंबर को बैठक बुलाई है। इसमें किराया बढ़ोतरी समेत अन्य कई फैसले लिए जाने हैं। राज्य में निजी व्यवसायिक वाहनों का किराया वर्ष 2013 से नहीं बढ़ा है।
पहले ही वसूल रहे हैं ज्यादा किराया
आरटीओ को विक्रम चालकों की ओर से ज्यादा किराया वसूलने की शिकायतें मिलती रही हैं। उदाहरण के लिए देहरादून में बल्लुपुर चौक से घंटाघर की दूरी करीब साढ़े तीन किलोमीटर है। अभी तय किराए के हिसाब से प्रति सवारी पांच रुपये किराया होना चाहिए, लेकिन सवारियों से आठ रुपये वसूले जा रहे हैं। इसी तरह शहर के अन्य रूटों पर भी सवारियों से वसूली की जा रही है। एआरटीओ देहरादून अरविंद पांडेय ने बताया कि ऑटो-विक्रम का किराया आठ रुपये प्रति किलोमीटर तय है। यह किराया ऑटो-विक्रम से सवार सभी सवारियों के आधार पर तय है। ज्यादा किराया वसूला जा रहा तो कार्रवाई होगी।
अभी ऐसे ले रहे किराया
जीएमओ, टीजीएमओ, यातायात, रूपकुंड सहित अन्य परिवहन कंपनियों का किराया अभी तक एक रुपये पांच पैसा प्रति किलोमीटर निर्धारित है। जबकि टैक्सी और मैक्सी का किराया 18 रुपये प्रति किलोमीटर निर्धारित है। बस का किराया प्रति सवारी तय है। जबकि टैक्सी और मैक्सी का उसमें बैठने वाले सभी सवारियों के आधार पर तय है। इसी तरह सिटी का बस किराया एक से चार किमी तक पांच रुपये, चार से आठ किमी तक सात रुपये निर्धारित है। अधिकतम 25 किलोमीटर का किराया 20 रुपये तय है।
कितना किराया बढ़ेता अभी तय नहीं
18 दिसंबर को एसटीए की बैठक में किराया रिव्यू समेत अन्य निर्णय लिए जाने हैं। किराया कितना बढ़ेगा यह अभी तय नहीं है। निजी कंपनियां रोडवेज की तर्ज पर किराया बढ़ाने की मांग कर रही है। इसमें कमेटी बनाई गई थी।