May 3, 2024

ऊर्जा से संबंधित प्राथमिकताओं को लेकर पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने अनेक कदम उठाए।

नई दिल्ली। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय का कार्य तेल और प्राकृतिक गैस की खोज और उत्पादन, शोधन, वितरण तथा विपणन, आयात, निर्यात तथा पेट्रोलियम उत्पादों का संरक्षण करना है। तेल और गैस हमारी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। मंत्रालय द्वारा सभी घरेलू पेट्रोलियम उत्पादों का उत्पादन बढ़ाने तथा उनका दोहन करने के लिए ऊर्जा सुगमता, ऊर्जा सक्षमता, ऊर्जा वहनीयता तथा ऊर्जा सुरक्षा जैसे प्राथमिक क्षेत्रों में काम करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं।

  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई)

गरीब परिवारों विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ रसोई ईंधन प्रदान करने और देश में रसोई गैस के रूप में एलपीजी का सार्वभौमिक कवरेज सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकार ने मई 2016 में 5 करोड़ के प्रारंभिक लक्ष्य के साथ प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) लांच किया। मार्च, 2020 तक गरीब परिवारों की वयस्क महिलाओं को 8 करोड़ कनेक्शन देने के लिए इसमें संशोधन किया गया। लक्ष्य से 7 महीने पहले यानी 7 सितंबर, 2019 को यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है।

इस योजना को लागू करने से आर्थिक उत्पादकता बढ़ी और महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि हुई। महिलाओं को लकड़ी एकत्रित करने के लिए घर से बाहर जाने से मुक्ति मिली और इस तरह महिलाओं द्वारा अपने जीवन को सुधारने के लिए समय मिला, जिसका उपयोग वे विविध क्षेत्रों में कर सकती हैं।

  • पहल

सरकार ने सुशासन के उपाए के रूप में पहल के माध्यम से एलपीजी उपभोक्ताओं को सब्सिडी प्रदान करने की लक्षित प्रणाली लागू की। सरकार की इस पहल का उद्देश्य सब्सिडियों को विवेक संगत बनाना था। इसका उद्देश्य सब्सिडी में कटौती नहीं करना और सब्सिडी चोरी को रोकना था।

पहल योजना 15 नवंबर, 2014 को लांच की गई। प्रारंभ में इसे 54 जिलों में लांच किया गया। बाद में इसे 01/01/2015 से देश के बाकी हिस्सों में लागू किया गया, ताकि एलपीजी सब्सिडी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के अंतर्गत एलपीजी उपभोक्ताओं के बैंक खातों में सीधी डाली जा सके। 13 दिसंबर, 2019 तक 25.84 करोड़ एलपीजी उपभोक्ता पहल योजना में शामिल हुए हैं और एलपीजी उपभोक्ताओं के बैंक खातों में सीधे तौर पर 1,22,666.82 करोड़ रुपये अंतरित किए गए।

पहल योजना यह सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई कि लाभ सीधे तौर पर असली घरेलू उपभोक्ताओं को पहुंचे और कोई गड़बड़ी न हो। इस योजना से फर्जी कनेक्शनों, अनेक कनेक्शनों और निष्क्रिय कनेक्शनों की पहचान करने में मदद मिली है और इससे सब्सिडी वाले एलपीजी का उपयोग वाणिज्यिक उद्देश्यों में करने पर नियंत्रण लगा।

  • खोज और लाइसेंसिंग नीति में सुधार

सरकार ने 28 फरवरी, 2019 को तेल और गैस की घरेलू खोज तथा उत्पादन में वृद्धि के लिए ‘खोज तथा लाइसेंसिंग नीति में सुधारों’ को अधिसूचित  किया। इसका उद्देश्य खोज गतिविधियों में तेजी लाना, विदेशी और घरेलू निवेश आकर्षित करना तथा घरेलू उत्पादन बढ़ाना था। नीति सुधारों की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं-

  1. फोकस ‘राजस्व’ से हटाकर ‘अधिकतम उत्पादन’ पर किया गया।
  2. श्रेणी- II तथा III गाद वाले बेसिन में सरकार के साथ कोई राजस्व साझा नहीं किया जाएगा।
  3. खोज कार्यक्रम पर अधिक बल देते हुए खोज गतिविधियों को प्रोत्साहन।

ए.  श्रेणी I बेसिन में खोज नहीं किए गए क्षेत्रों के लिए न्यूनतम कार्य कार्यक्रम को 70 प्रतिशत भारांक तथा उच्चतम राजस्व साझा करने के बिन्दु पर 50 प्रतिशत की सीमा के साथ राजस्व साझा करने पर 30 प्रतिशत भारांक तथा

बी.  श्रेणी II और III गाद वाले बेसिनों के लिए न्यूनतम कार्य कार्यक्रम के लिए भारांक 100 प्रतिशत है।

  1. शीघ्र विकास के लिए खोज की छोटी अवधि
  2. शीघ्र मुद्रीकरण तथा वाणिज्यिक उत्पादन के लिए राजकोषीय रियायतें
  3. प्राकृतिक गैस के लिए विपणन और मूल्य निर्धारण स्वतंत्रता
  4. नीति में राष्ट्रीय तेल कम्पनियों (एनओसी) द्वारा संचालित 66 छोटे तथा मझौले उत्पादन के नामित फील्ड में बोली लगाने तथा नई और नवाचारी टेक्नोलॉजी लगाने, नया निवेश लाने तथा प्रबंधन व्यवहारों के लिए निजी ईतथापी कार्य में शामिल प्रतिष्ठानों से सहयोग करने का प्रावधान है ताकि बढ़ी हुई तेल उगाही/सुधरी हुई तेल उगाही (ईओआर/आईओआर) पद्धतियों को अपना कर तेल और गैस का उत्पादन बढ़ाया जा सके।
  5. ओएनजीसी तथा ओआईएल के समझौता ज्ञापन को नया स्वरूप दिया गया। इसमें वास्तविक उत्पादन के लिए 50 प्रतिशत भारांक, अन्य वास्तविक मानकों के लिए 30 प्रतिशत भारांक, वित्तीय प्रदर्शन मानकों का 20 प्रतिशत भारांक है।
  6. डीजीएच की परिपालन/नियामक, विकास और समन्वय भूमिका को मजबूत बनाने के लिए ड़ीजीएच को अतिरिक्त शक्तियां और कार्य देकर डीजीएच की भूमिका को फिर से पारिभाषित किया गया।
  7. सरल और निवेशक अनूकूल आदर्श बोली दस्तावेजों में वर्ष में दो बार के स्थान पर तीन बार बोली प्रक्रिया की व्यवस्था करना शामिल है।
  8. व्यावसायिक सुगम्यता को प्रोत्साहित करना

ए.) सरकार/डीजीएच/प्रबंधन समिति की मंजूरियों में कटौती तथा मंजूरी देने में तेजी पर बल के साथ संविदा शर्तों को सरल बनाया गया।

बी.) मंजूरियों की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में अधिकारप्राप्त समन्वय समिति स्थापित करना।

सी.) संविदा विवाद के सौहार्दपूर्ण और शीघ्र समाधान के लिए नई विवाद समाधान व्यवस्था।

डी.) आईटी कार्य प्रवाह तथा मंजूरी प्रक्रिया की प्रोसेसिंग पर आधारित इलेक्ट्रॉनिक एकल खिड़की व्यवस्था। पीएससी के अंतर्गत मंजूरी प्रदान करने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को अंतिम रूप दे दिया गया है।

  • खुला क्षेत्रफल लाइसेंसिंग नीति (ओएएलपी) बोली दौर

वर्ष 2019 के दौरान ओएएलपी बोली दौर II और III तीन के अंतर्गत 59,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र कवर करने वाले 32 ब्लॉक आवंटित किए गए और ओएएलपी बोली दौर V के अंतर्गत 18500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के 7 ब्लॉक आवंटित किए गए।

  • पेट्रोलियम खोज लाइसेंस

केन्द्र सरकार ने सभी अपतटीय ब्लॉकों के लिए पेट्रोलियम खोज लाइसेंस (पीईएल) पहले ही मंजूर किया है और संबद्ध राज्य सरकारों से सिफारिश की है कि वे हाइड्रोकार्बन खोज और लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी) व्यवस्था के अंतर्गत आवंटित सभी जमीनी ब्लॉक के लिए पीईएल मंजूर करें।

  • राष्ट्रीय भूकम्पीय कार्यक्रम (एनएसपी)

एनएसपी के तहत 30/11/2019 तक 48,143 लाईन किलोमीटर (एलकेएम) में से 41,902 धरातल कवरेज लक्ष्य प्राप्त किया गया।

  • राष्ट्रीय डाटा रिपोजिटरी (एनडीआर)

सरकार द्वारा काफी बड़े डाटा को एकत्रित करने, संरक्षित करने और अध्ययन करने के लिए एनडीआर स्थापित किया गया। इसका उद्देश्य डाटा को संगठित और नियमन करना है ताकि भविष्य की खोज और विकास में डाटा का उपयोग किया जा सकें और अनुंसधान और विकास तथा अन्य शैक्षिक संस्थान इसका उपयोग कर सके। डीजीएच कार्यालय, नोएडा में 28 जून, 2017 को एनडीआर औपचारिक रूप से लांच किया गया। 30 नवंबर, 2019 को एनडीआर में अपलोड किए गए डाटा में 2डी भूकम्पीय डाटा का 2.30 मिलियन लाईन किलोमीटर, 3डी भूकम्पीय डाटा का 0.78 मिलियन वर्ग किलोमीटर तथा 17588 खोज संबंधी कुएं हैं। एनडीआर में डाटा उपलब्धता से ओएएलपी के अंतर्गत रूचि अभिव्यक्ति आवेदन के लिए ब्लॉक निर्धारित करने में निवेशकों को मदद मिलेगी।

  • नई खोज लाइसेंसिंग नीति (एनईएलपी) अन्वेषण का मुद्रीकरण

31 अक्टूबर, 2019 तक 42 (समूच्य) एनईएलपी अन्वेषण का मुद्रीकरण किया गया।

  • रिफाइनरी

देश में कार्य कर रही 23 रिफाइनरियों में से 18 सार्वजनिक क्षेत्र की हैं, 3 निजी क्षेत्र में हैं और 2 संयुक्त उद्यम हैं। इनकी कुल शोधन क्षमता 249.366 एमएमटीपीए है। 249.366 एमएमटी शोधन क्षमता में से 142.066 एमएमटी सार्वजनिक क्षेत्र में, 19.10 एमएमटी संयुक्त उद्यम में तथा शेष 88.20 एमएमटी निजी क्षेत्र में हैं। देश शोधन क्षमता में न केवल घरेलू उपभोग के लिए आत्मनिर्भर है बल्कि अच्छी मात्रा में पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात भी करता है।

  • ऑटो ईंधन विजन तथा नीति

देश में बीएस-IV तथा बीएस-VI ईंधन लागू किया गयाः

ए.) पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 19/01/2015 के आदेश से पूरे देश में बीएस-IV ऑटो ईंधन लागू करने के बारे में अधिसूचना जारी की। इसी के अनुसार 01/04/2017 से पूरे देश में बीएस-IV ऑटो ईंधन लागू किया गया।

बी.) यह निर्णय लिया गया है कि देश बीएस-IV से बीएस-VI ईंधन मानकों की छलांग लगाएगा तथा बीएस-VI मानक पूरे देश में 01/04/2020 से लागू किया जाएगा।

सी.) दिल्ली में गंभीर प्रदूषण स्तर पर विचार करते हुए सरकार ने 01/04/2018 से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (एनसीटी) में बीएस-VI ईंधन की आपूर्ति शुरू कर दी है।

डी.) सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से सटे राजस्थान, उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा के 20 जिलों में बीएस-VI ऑटो ईंधन की आपूर्ति शुरू कर दी है।

  • खुदरा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी के नियम को उदार बनाया गया

परिवहन ईंधन यानी मोटर स्प्रिट (एमएस)/हाईस्पीड डीजल (एचएसडी) के विपणन के लिए अधिकृत करने के दिशा-निर्देशों को मंजूरी दे दी है। इस संबंध में आवश्यक अधिसूचना भारत के गजट में 08/11/2019 को प्रकाशित की गई है।

  • डीपीआईआईटी का सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को वरीयता) आदेश

25 जून, 2019 को उद्योग तथा आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा जारी सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को वरीयता) आदेश के अंतर्गत पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस उत्पादों के लिए न्यूनतम स्थानीय उत्पाद का निर्धारण किया है। चालू वित्त वर्ष के दौरान खरीद वरीयता नीति (स्थानीय उत्पाद से जुड़ा (पीपी-एलसी)) की समीक्षा की गई। यह समीक्षा पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय की नीति के अंतर्गत गठित संचालन समिति द्वारा की गई। संचालन समिति की सिफारिश के अनुसार नीति की अवधि 1 अक्टूबर, 2019 से आगे एक वर्ष के लिए बढ़ाई गई है।

  • राष्ट्रीय गैस ग्रिड

भारत सरकार ने गैस ग्रिड का काम पूरा करने के लिए अतिरिक्त 15000 किलोमीटर की गैस पाईप लाइन तथा विभिन्न पाईप लाइन सेक्शनों के विकास की आवश्यकता चिन्हित की है। सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों द्वारा लागू की जा रही नई पाईप लाइन परियोजनाएं राष्ट्रीय गैस ग्रिड का हिस्सा हैं और यह निम्नलिखित हैं-

  1. जगदीशपुर-हल्दिया तथा बोकारो-धमरा पाईप लाइन परियोजना (जेएचबीडीपीएल)- 2655 किलोमीटर की यह पाईप लाइन परियोजना 12,940 करोड़ रुपये (भारत सरकार से 40 प्रतिशत पूंजी अनुदान यानी 5,176 करोड़ रुपये) के निवेश के साथ गेल द्वारा लागू की जा रही है। यह परियोजना दिसंबर, 2020 तक पूरी की जानी है। जेएचबीडीपीएल पांच राज्यों- उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल- की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करेगी।
  2. बरौनी से गुवाहाटी पाईप लाइन- जेएचबीडीपीएल के अभिन्न भाग के रूप में बरौनी से गुवाहाटी पाईप लाइन परियोजना लागू की जा रही है। इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र को राष्ट्रीय गैस ग्रिड से जोड़ना है। पाईप लाइन की अनुमानित लम्बाई 729 किलोमीटर है और 3308 करोड़ रुपये की अनुमानित परियोजना लागत के साथ इसकी क्षमता 2 से 2.5 एमएमएससीएमडी है। यह परियोजना दिसंबर, 2021 तक पूरी होग।
  3. पूर्वोत्तर गैस ग्रिड- पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा 09/02/2016 को पूर्वोत्तर भारत के लिए हाइड्रोकार्बन विजन 2030 (विजन दस्तावेज) जारी किया गया। इसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्राकृतिक गैस आधारभूत संरचना में अंतर की समीक्षा करने और राष्ट्रीय गैस पाईप लाइन ग्रिड का प्रस्ताव किया गया है। इस तरह सार्वजनिक क्षेत्र की 5 कम्पनियों यानी गेल, आईओसीएल, ओआईएल, ओएनजीसी तथा एनआरएल का संयुक्त उद्यम ‘इंद्रधनुष गैस ग्रिड लिमिटेड (आईजीजीएल)’ बनाया गया है। इस संयुक्त उद्यम को पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्राकृतिक गैस पाईप लाइन ग्रिड (एनईजीजी) सभी पूर्वोत्तर राज्यों यानी असम, सिक्कम, मिजोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा नगालैंड तथा मेघालय में 9265 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से चरणबद्ध तरीके से बनाने दायित्व सौंपा गया है। पूर्वोत्तर प्राकृतिक गैस पाईप लाइन ग्रिड (एनईजीजी) स्थापित करने के लिए इंद्रधनुष गैस लिमिटेड (आईजीजीएल) को कम पड़ रही राशि के प्रबंधन (वीजीएफ) के रूप में पूंजी अनुदान के लिए सीसीईए के नोट पर विचार किया जा रहा है।

iv.        कोच्चि – कूट्टानद – बेंगलुरु – मंगलूर (दूसरा चरण) पाइपलाइन परियोजना (केकेबीएमपीएल):देश के दक्षिणी भाग में कोच्चि – कूट्टानद – बेंगलुरु – मंगलूर (केकेबीएमपीएल) पाइपलाइन और एन्नौर – थिरूवलूर – बैंगलुरू – पुद्दुचेरी – नागापत्तिनम – मदुरै – तूतीकोरिन (ईटीबीपीएनएमटी) पाइपलाइन के विकास का काम चल रहा है। इन पाइपलाइन परियोजनओं के विकास के लिए समस्त प्रयास किए जा रहे हैं। इस तरह केकेबीएमपीएल और ईटीबीपीएनएमटी परियोजनाओं के जरिए दक्षिण के शहरों को मौजूदा गैस ग्रिड से प्राकृतिक गैस संसाधनों (आंतरिक और आयातित) तक पहुंच प्रदान की जाएगी।

  • वाहनों में एलएनजी/सीएनजी को प्रोत्साहन

अक्टूबर 2019 तक लगभग 55.17 लाख घर खाना पकाने के उद्देश्य से पीएनजी के रूप में घरेलू गैस का लाभ उठा रहे हैं। तेल और गैस कंपनियों ने संयुक्त उपक्रम/सहायक सीजीडी कंपनियों के साथ मिलकर पीएनजी नेटवर्क का दायरा बढ़ाने की योजना बनाई है, ताकि 2024 तक सभी घरों को एक करोड़ पीएनजी अतिरिक्त गैस कनेक्शन मिल जाए। सरकार ने पीएनजी के रूप में घरों को आपूर्ति करने के लिए देश में सबसे सस्ती दर वाली घरेलू गैस के आवंटन को प्राथमिकता दी है। इस संबंध में पूरे देश में यातायात के लिए सीएनजी के रूप में गैस की व्यवस्था की गई है। सीजीडी नेटवर्क को औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के तहत जन उपयोगी घोषित किया गया है। अक्टूबर 2019 के मद्देनजर 1838 सीएनजी स्टेशनों पर सीएनजी उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि देश में 34.54 लाख सीएनजी वाहनों की जरूरतें पूरी की जा सकें।

सरकार देश भर में सीजीडी नेटवर्क के लिए पीएनजी (घरेलू) और सीएनजी (यातायात) की शत प्रतिशत गैस आवश्यकता पूरी कर रही है।

  • शहरी गैस वितरण (सीजीडी) की बोली

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड अधिनियम, 2006 के तहत पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) का गठन किया गया है। यह बोर्ड खुली बोली प्रक्रिया के लिए शहरों/देश के भौगोलिक क्षेत्रों में सीजीडी नेटवर्क स्थापित करने के लिए अधिकृत है। घरों तक घरेलू पीएनजी की आपूर्ति, वाहनों के लिए सीएनजी स्टेशनों के गठन, छोटे उद्योगों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को पीएनजी प्रदान करने का काम इसी अधिकृत निकाय के जरिए किया जाएगा।

9वें और 10वें सीजीडी बोली दौर में क्रमशः 86 और 50 भौगोलिक क्षेत्रों को अधिकृत किया गया है। 10वीं सीजीडी बोली दौर में 50 भौगोलिक क्षेत्रों के लिए विभिन्न निकायों द्वारा प्रतिबद्धता के आधार पर 2,02,92,760 घरेलू पीएनजी कनेक्शन और ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए 3,578 सीएनजी स्टेशनों को 31 मार्च, 2029 तक के 8 वर्षों के दौरान पूरा किया जाएगा। यह 58,177 इंच-किलोमीटर स्टील पाइपलाइन के अतिरिक्त है। सीजीडी बोली के 10वें दौर के पूरा हो जाने के बाद सीजीडी 229 भौगोलिक क्षेत्रों में उपलब्ध होगी, जिनमें 27 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के 407 जिले शामिल हैं। इस तरह भारत की लगभग 70 प्रतिशत आबादी और 53 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र इसके दायरे में आ जाएगा।

तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का पुनः गैसीकरण

इस समय देश में 6 एलएनजी टर्मिनल मौजूद हैं, जिनकी पुनःगैसीकरण क्षमता 39.2 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष है। यह 6 टर्मिनल दाहेज (17.5 एमएमटीपीए), हजीरा (5 एमएमटीपीए), दाभोल (1.7 एमएमटीपीए), कोच्चि (5 एमएमटीपीए), मुन्द्रा (5 एमएमटीपीए) और एन्नौर (5 एमएमटीपीए) हैं। आने वाले वर्षों में दाभोल टर्मिनल की क्षमता 5 एमएमटीपीए तक बढ़ाई जाएगी।

  • स्वच्छ भारत अभियान

6 सितंबर, 2019 को आयोजित होने वाले स्वच्छ महोत्सव 2019 में स्वच्छता कार्ययोजना वर्ग के तहत पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को स्वच्छ भारत पुरस्कार प्राप्त हुआ। विभिन्न बैठकों और उच्च स्तरीय समीक्षा बैठकों के जरिए लगातार निगरानी की मदद से मंत्रालय ने 2018-19 के लिए 342.50 करोड़ रुपये के बजट का आवंटन किया। तेल और गैस के सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों सहित पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने लगभग 473 करोड़ रुपये खर्च किए। इस तरह इस मद में लगभग 138 प्रतिशत का इजाफा हुआ।

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, उससे सम्बद्ध कार्यालयों, मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन तेल और गैस के सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों ने पूरे हर्षोल्लास के साथ 01 जुलाई, 2019 से 15 जुलाई, 2019 तक स्वच्छता पखवाड़ा मनाया। 16 सितंबर, 2019 को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने स्वच्छता पखवाड़ा 2019 के सभी विजेताओं और अंतर-परिशोधन इकाई रैंकिंग 2018-19 के विजेताओं को पुरस्कृत किया। मंत्रालय की इस पहल के परिणामस्वरूप देश भर में 60,000 से अधिक गतिविधियां चलाई गईं और 200,000 से अधिक पौधे लगाए गए। पखवाड़ा 2019 के तहत विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिनमें स्वच्छता अभियान (8450), जागरूकता अभियान (5844), स्कूली छात्रों / समुदायों के लिए प्रतियोगिता (1750) और अन्य गतिविधियां शामिल हैं। इस वर्ष स्वच्छता पखवाड़े में 25,00,000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया।

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में 11 सितंबर से 27 अक्टूबर, 2019 तक स्वच्छता के लिए जन आंदोलन की शुरूआत की, जिसकी थीम से नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक थी। सामूहिक प्रयास के तहत सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और मंत्रालय के अधीन अन्य संगठनों ने मिलकर स्वच्छ और हरित भारत की शुरूआत की। मंत्रालय, उससे सम्बद्ध कार्यालयों और तेल तथा गैस के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अमूल्य योगदान की बदौलत स्वच्छता की सेवा – 2019 ने अभूतपूर्व सफलता अर्जित की। हमारे महान राष्ट्र के कोने-कोने में सिंगल यूज प्लास्टिक को समाप्त करने के अभियान में भारी सफलता ने स्वच्छ भारत को वास्तविकता बना दिया है।

  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग/महत्वपूर्ण समझौते/संविदाएं

1. भारत के प्रमुख हाइड्रो-कार्बन सम्मेलन के 13वें संस्करण पेट्रोटैक – 2019 का फरवरी 2019 में नई दिल्ली में आयोजन हुआ। इस द्विवार्षिकी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के हाइड्रो-कार्बन सेक्टर की मौजूदा वैश्विक तेल और गैस क्षमताओं को पेश किया गया।

2. 22 सितंबर, 2019 को माननीय प्रधानमंत्री ने ह्यूस्टन में अमेरिकी ऊर्जा सेक्टर के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के गोलमेज सम्मेलन की मेजबानी की। इस कार्यक्रम के दौरान टेल्लूरियन और पीएलएल ने एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत प्रस्तावित ड्रिफ्टवुड एलएनजी परियोजना से लगभग 5 एमएसटीपीए एलएनजी की खरीद की बातचीत तय की गई।

3. भारत ने सितंबर 2019 में अबूधाबी में एएमईआर8 (एशियाई मंत्रिस्तरीय ऊर्जा गोलमेज सम्मेलन 8) की सह-मेजबानी की। भारत 2021 में एएमईआर9 की मेजबानी करेगा।

4. 10 सितंबर, 2019 को माननीय प्रधानमंत्री और नेपाल के प्रधानमंत्री ने संयुक्त रूप से दक्षिण एशिया की पहली सीमापार पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइन का उद्घाटन किया। यह पाइपलाइन भारत के मोतीहारी और नेपाल में अमलेखगंज के बीच है। यह उद्घाटन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया गया।

5. वीडियो लिंक के जरिए 5 अक्टूबर, 2019 को माननीय प्रधानमंत्री और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री श्रीमती शेख हसीना ने संयुक्त रूप से बांग्लादेश से बल्क एलपीजी के आयात के सम्बंध में परियोजना का उद्घाटन किया।

6. प्राकृतिक और प्राकृतिक गैस मंत्री ने 8-9 अक्टूबर, 2019 को मंगोलिया की तेल शोधक इकाई द्वारा वित्त पोषित अवसंरचना कार्य पूरा हो जाने पर मंगोलिया में उसका संयुक्त उद्घाटन किया। इस परिशोधन परियोजना का वित्त पोषण एलओसी के तहत भारत कर रहा है।

7. भारतीय तेल और गैस सेक्टर की भावी चुनौतियों तथा आगे की दिशा पर चर्चा करने के लिए 13 अक्टूबर, 2019 को नई दिल्ली में आईटीटी (अंतर्राष्ट्रीय थिंक टैंक) की तीसरी बैठक आयोजित की गई।

8. सेरावीक इंडिया एनर्जी फोरम के तीसरे संस्करण का आयोजन नई दिल्ली में 14-15 अक्टूबर, 2019 को किया गया। बैठक में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री ने विश्व के तेल और गैस से जुड़ी बड़ी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ मुलाकात की।

9. पदूर एसपीआर में दो कुओं की पुनःपूर्ति की संभावनाएं खोजने के लिए इंडियन स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व्स लिमिटेड और सऊदी आर्मको के बीच समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

10. यातायात सेक्टर में प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल के लिए 5 सितंबर, 2019 को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा रूस के ऊर्जा मंत्रालय के बीच एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

11. रूसी राष्ट्रपति के साथ माननीय प्रधानमंत्री की वार्षिक द्विपक्षीय शिखर वार्ता के बाद 4 सितंबर, 2019 को रूस के व्लादीवोस्तोक में 2019-2024 के लिए हाइड्रो-कार्बन सेक्टर में भारत और रूस के बीच सहयोग पर एक संयुक्त बयान जारी किया गया। इस संयुक्त बयान में एलएनजी परियोजनाओं में सहयोग की संभावनाएं खोजने के लिए भारत की निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए रोडमैप का हवाला मौजूद है, जिसमें आर्कटिक क्षेत्र भी शामिल है।

  • एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम

एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2018-19 में मिश्रण उद्देश्य के लिए ओएमसी ने 188.57 करोड़ लीटर एथेनॉल की खरीद की है। ईएसवाई 2019-20 के लिए सरकार ने एथेनॉल खरीद का समर्थन मूल्य बढ़ाकर तय किया है। यह मूल्य कच्चे माल पर आधारित है, यानी सी भारी शीरे के लिए 53.75 रुपये प्रति लीटर, बी भारी शीरे के लिए 54.27 रुपये प्रति लीटर, गन्ने का रस/चीनी/चीनी रस के लिए 59.48 रुपये प्रति लीटर और क्षतिग्रस्त खाद्यान के लिए 47.63 रुपये प्रति लीटर की दर से मूल्य तय किया गया है। चीनी और चीनी के रस को पहली बार एथेनॉल उत्पादन के लिए स्वीकार किया गया है, ताकि उद्योग अपने अतिरिक्त भंडार को खपा सकें। सरकार ने दीर्घकालीन एथेनॉल खरीद नीति को प्रकाशित किया है, ताकि इस सेक्टर में ताजा निवेश के लिए उद्योग दीर्घकालीन रणनीति बना सकें। उद्योग (विकास एवं नियमन) अधिनियम के संशोधित प्रावधानों के तहत एथेनॉल के उत्पादन, एथेनॉल के आवागमन और भंडारण पर केन्द्र सरकार को नियंत्रण दिया गया है। इन संशोधित प्रावधानों को 13 राज्यों में लागू कर दिया गया है।

  • बायो-डीजल कार्यक्रम

खाना पकाने में इस्तेमालशुदा तेल (यूसीओ) से बायो-डीजल के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए तेल विपणन कंपनियों ने 10 अगस्त, 2019 को मंशा-पत्र जारी किया था। यह मंशा-पत्र देश के 100 स्थानों के यूसीओ से बायो-डीजल की आपूर्ति से सम्बंधित है। 10 अक्टूबर, 2019 को ये स्थान 200 कर दिए गए हैं। कारखानों से बाहर निकलने वाले यूसीओ आधारित बायो-डीजल की कीमतों को तीन सालों के लिए तय कर दिया गया है। पहले वर्ष के लिए 51 रुपये प्रति लीटर, दूसरे वर्ष के लिए 52.7 रुपये प्रति लीटर और तीसरे वर्ष के लिए 54.5 रुपये प्रति लीटर का मूल्य तय किया गया है। जीएसटी और यातायात का खर्च, मूल्य के अतिरिक्त देय होगा। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने यातायात उद्देश्य के लिए हाइस्पीड डीजल के साथ मिश्रण करने के लिए बायो-डीजल की बिक्री के दिशा-निर्देश-2019 के सम्बंध में 30 अप्रैल, 2019 को गजट अधिसूचना जारी की थी।

  • दूसरी पीढ़ी का एथेनॉल

एथेनॉल उत्पादन के लिए दूसरी पीढ़ी (2जी) का वैकल्पिक मार्ग खोलने के नतीजे में तेल विपणन कंपनियां 14,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ बारह 2जी बायो-रिफाइनरी स्थापित करने की प्रक्रिया में है। पांच 2जी रिफाइनरी परियोजनाएं भटिंडा, बारगढ़, नुमालीगढ़, पानीपत और गोरखपुर में निर्माण के अग्रिम चरण में हैं।

दूसरी पीढ़ी की बायो-ईंधन इकाइयां लगाने को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री जी-वन (जैव ईंधन – वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना शुरू की है, ताकि लिगनोसेल्यूलोसिक बायोमास और अन्य नवीकरणीय चारे के इस्तेमाल से एकीकृत बायो-एथेनॉल परियोजनाओं को वित्तीय सहायता दी जा सके। इस योजना के तहत पानीपत स्थित प्रदर्शन इकाई के लिए आईओसी अनुसंधान एवं विकास के इतर आईओसीएल (पानीपत इकाई), बीपीसीएल (बारगढ़), एचपीसीएल (भटिंडा), एमआरपीएल (दावनगीर) और एनआरएल (नुमालीगढ़) ने सहायता के प्रस्ताव दिए हैं।


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