अब उत्तराखण्ड तकनीकि विश्वविद्यालय हुआ वीर माधो सिंह भण्डारी
-कुलपति डा यूएस रावत से विश्वविद्यालय को और मजबूत बनाने व गुणवत्ता क्षा मुहैया कराने की उम्मीद जतायी
देहरादून। प्रदेष में तकनीकि षिक्षा के क्षेत्र में अहम रोल अदा करने वाले उत्तराखंड तकनीकि विष्वविद्यालय का नाम अब वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड तकनीकि विश्वविद्यालय हो गया है। जिसकी घोशणा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विधिवत रूप से कर दी है। उधर तकनीकि विश्वविद्यालय का नाम वीर माधो सिंह भण्डारी किये जाने पर प्रदेष के गणमान्य व्यक्तियों ने स्वागत योग्य कदम बताया है। साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व कुलपति डा यूएस रावत से विश्वविद्यालय को और मजबूत बनाने व गुणवत्ता षिक्षा मुहैया कराने की उम्मीद जतायी है।
श्क्रवार को उत्तराखण्ड तकनीकिविश्वविद्यालय के नवीन परिसर का लोकार्पण कार्यक्रम के मौके पर प्रदेष के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द सिंह रावत ने सहसपुर विधायक सहदेव पुंडीर एवं विवि के कुलपति डा यूएस रावत के अनुरोध पर विवि का नाम वीर माधो सिंह भण्डारी के नाम पर करने की विधिवत घोशणा की, जिसका वहा मौजूद सभी षिक्षण संस्थानों से आये गणमान्य व्यक्तियों व वरिश्ठनागरिकों ने गर्मजोषी के साथ स्वागत किया।इसके पष्चात बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में षिरकत करने पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं विवि के कुलपति डा यूएस रावत ने विष्वविद्यालय में षौर्य दीवार का अनावरण एवं यूनिवर्सिटी एकेडिमिया इंडस्ट्री फोरम का भी षुभारम्भ किया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा तकनीकि विष्वविद्यालय के छात्रों का औद्योगिक संस्थानों के साथ संवाद स्थापित कराना जरूरी है। उद्योगों की डिमाण्ड को समझना जरूरी है। आधुनिक तकनीक जिस तेजी से बदल रही है, उस दिषा में प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि परिवर्तन के दौर में तकनीक के विकास के साथ आगे बढ़ना जरूरी है। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कौषल विकास पर अधिक बल दिया है। कौषल विकास को बढ़ावा देने एवं स्वरोजगार के लिए लोगों को प्रेरित करना जरूरी है। उन्होंने विष्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को कौष्ल विकास के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्श 2020 तक प्रदेष में एक लाख युवाओं को स्किल्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिये राज्य में कौषल विकास मंत्रालय का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि आस-पास के गांवों और स्कूलों में जाकर छात्र-छात्राएं लोगों को कौषल विकास के लिए कुछ समय दे सकते हैं। इससे लोगों को लाभ मिलेगा और छात्र-छात्राओं को समाज में घुलने-मिलने का समय भी मिलेगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित भी किया।
इस अवसर पर विधायक सहदेव सिंह पुण्डीर, उत्तराखण्ड तकनीकि विष्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अनीता रावत, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, डॉ. नरेष षर्मा, डॉ. अषोक कुमार विन्डलास, प्रो. आर. तिवारी आदि मौजूद थे।
कुलपति प्रो यूएस रावत के अथक प्रयास से चंद महीनों में ही मिल गयी तकनीकि विश्वविद्यालय को पहचान।
उत्तराखंड तकनीकि विश्वविद्यालय और विवाद ये दोनों एक साथ इस विश्वविद्यालय के साथ षुरू से ही चलते रहे। आलय यह रहा कि तीन वर्श पूर्व जिस विवि की भव्य इमारत बनकर तैयार हो गयी थी, लेकिन ताजुब मानिये कि वहा कुलपति व कुलसचिव चंद कदम की दूरी पर से भी नहीं पहुंच पाये। जिसका नतीजा यह रहा की छात्रों और लोगों का विष्वास इस विवि से उठने लगा। लेकिन इसके बाद यहा के कुलपति प्रो पीके गर्ग और राजभवन की तनातनी ने विवि को और पीछे धकेल दिया। जिसके बाद चंद तकरीबन पांच माह पूर्व राज्यपाल डा केके पॉल ने सख्त कदम उठाते हुये, विवि के कुलपति प्रो पीके गर्ग को तत्काल हटाकर श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति प्रो यू.एस रावत को अतिरिक्त जिम्मेदारी सौपी गयी और आज नतीजा सबके सामने है। प्रदेश के राज्यपाल व विवि के चांसलर डॉ केके पॉल ने आदेश करते हुए डॉ. रावत को अग्रिम आदेश आने तक यूटीयू की कमान संभालने के निर्देश दिए । राज्यपाल के निर्देष और कुषल कार्यप्रणाली का ही नतीजा है डा. उदय सिंह रावत ने पांच माह में न सिर्फ विवि की खोली प्रतिश्ठा लौटायी, बल्कि छात्र-छात्राओं के लिए औद्योगिक क्षेत्र में भी रास्ते तलास दिये है। डा रावत का मानना है कि प्रदेष के युवाओं को बेहतर षिक्षा के साथ साथ बेहतर राजगार देना भी विवि की प्राथमिकता है, इसी लिए उन्होंने उच्च षिक्षा राज्यमंत्री डा धनसिंह रावत व प्रदेष के मुख्यमंत्रर त्रिवेन्द्र सिंह रावत का सहयोग लेते हुये औद्योगिक क्षेत्र में युवाओं के लिए नये रास्ते खोल दिये है। यही वजह है कि आज डा. उदय सिंह रावत को छात्र-छात्राएं लंबे समय तक अपने विवि का कुलपति देखना चाहते है।