जन्मदिन विशेष: जानिए, द्रविड़ की जिंदगी और क्रिकेट से जुड़ी कुछ खास बातें
नई दिल्ली। दुनिया के सबसे तेज गेंदबाजों में से एक ब्रेट ली ने एक बार कहा था ‘अगर आप द्रविड़ के साथ नहीं खेल सकते तो मान लें कि आप जीवन में संघर्ष कर रहे हैं’, बिना किसी शक के ऐसा कहा जा सकता है कि यह 100 नहीं बल्कि 200 फीसदी सच है। राहुल द्रविड़, एक ऐसी ही शख्सियत का नाम है जो अपने काम में इतने सहज होते हैं और इतनी निःस्वार्थता समेटे होते हैं कि वह बिल्कुल सामान्य लगता है लेकिन यह बात शायद उन्हें भी नहीं मालूम है कि वो एक जीते-जागते लिविंग लीजेंड हैं। वो अपने बच्चों की फीस जमा करने के लिए एक सामान्य अभिभावक की तरह कतार में खड़े रहना हो या युवा क्रिकेट खिलाड़ियों के क्रिकेट में नई धार देने की बात हो। उन्होंने सेलिब्रिटी जैसे शब्दों को बौना बना दिया और दुनिया को कई बार ऐसे मिसाल दिए जिसकी वजह से हर शख्स उनका मुरीद हो जाता है। आइए आज उनसे ही जुड़े 10 ऐसे किस्से जानते हैं जिसमें उन्होंने मानवता और इंसानियत को एक नई परिभाषा दे दी। उन्होंने कई बार ऐसे काम किए जिसने उन्हें विनम्रता की प्रतिमूर्ति और एक परफेक्ट जेंटलमैन साबित किया।
क्रिकेट जगत के सबसे शानदार विश्लेषक हर्षा भोगले ने द्रविड़ के बारे में एक बार कहा था ‘मैं नहीं जानता कि राहुल इंसान हैं, क्योंकि एक इंसान इतना निःस्वार्थ कैसे हो सकता है’ कुछ ऐसी ही है क्रिकेट के दीवार की पहली कहानी। हाल में उनकी एक तस्वीर वायरल हुई थी जब वो बच्चों के लिए आयोजित एक विज्ञान प्रदर्शनी मेले में एक आम अभिभावक के रूप में कतार में खड़े दिखे। वो ट्विटर पर सक्रिय नहीं हैं लेकिन उनकी यह तस्वीर वहीं वायरल हुई थी। तस्वीर को ध्यान से देखने के बाद यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें इस बात का जरा भी इल्म नहीं था कि उनकी एक तस्वीर अभिभावक, खेल प्रेमी उनके प्रशंसक और न जानें असंख्य लोगों के लिए मिसाल बनने वाली थी।
राहुल द्रविड़ भले ही खबरों में न रहना चाहते हों लेकिन खबरें उनका पीछा करते रहती हैं। ठीक एक साल पहले जब 25 जनवरी 2017 को जब बेंगलुरू यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि देने की घोषणा की तो उन्होंने ससम्मान इसे लेने से इनकार कर दिया और ऐसी उपलब्धियों और उपाधियों को कमाकर हासिल करने की बात कही तो सोशल मीडिया पर लोग उनकी तारीफ करते नहीं थके। वैसे यह पहला मौका नहीं था जब उन्होंने ऐसी उपाधि लेने से मना किया इससे पहले भी उन्होंने गुलबर्ग यूनिवर्सिटी से मिले एक ऐसे ही प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
राहुल द्रविड़ जितने साधारण दिखते हैं वो निजी जीवन में भी वैसे ही हैं। एक बार जब हवाई यात्रा के दौरान वो इकॉनमी क्लास से सफर कर रहे थे तो लोगों ने उन्हें ऑटोग्राफ और फोटोग्राफ के लिए घेर लिया था। उन्होंने पूरी विनम्रता से पहले बाकी पैसेंजर्स को जाने देने के लिए रास्ता देने की बात कही फिर उन्होंने एक-एक कर सभी प्रशंसकों से बात की और सबके साथ तस्वीरें भी खिंचवाई।
हाल के दिनों में राहुल द्रविड़ ने Google Pixel 2 के लिए एक ऐड शूट किया है जिसमें उनके शिष्य उन्हें एक ऑटो से मैकलॉडगंज खाना खिलाना ले जाते हैं. वो रियल लाइफ में भी कुछ ऐसे ही हैं। महंगी कार होने के बावजूद उन्हें बेंगलुरू की सड़कों पर अपने दोस्तों के साथ ऑटो की सवारी करते हुए कई बार देखा गया है। वो एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का खूब इस्तेमाल करते हैं।
राहुल द्रविड़ से एक मुलाकात को साझा करते हुए एक यूजर ने Quora (सवाल-जवाब के फोरम) पर एक वाकये को साझा किया और लिखा कि जब उन्होंने मुझसे हाथ मिलाते हुए मुलाकात की तो उनके पहले शब्द थे “मैं राहुल आपसे मिलकर खुशी हुई’। जिस शख्स को पूरी दुनिया और क्रिकेटिंग वर्ल्ड जानता है वो अपनी पहचान इस तरह बताता है। वह शख्स यह शब्द सुनकर अवाक रह गया और प्रत्युत्तर में मौन रह गया। जिनकी प्रशंसा के गुणगान पूरी दुनिया में होती है वो आज भी किसी शख्स से कैसे एक आम आदमी की तरह मिलता है।
द्रविड़ के पिता की मौत के ठीक एक दिन बाद उनके कुछ प्रशंसक हजारों किमी का सफर तय कर अपने ‘आदर्श’ से मिलने गए थे। जब वो लोग द्रविड़ के घर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि राहुल के पिता की मौत एक दिन पहले हुई है। जब वो घर के अंदर दाखिल हुए तो आश्चर्य में रह गए क्योंकि राहुल उनसे वैसे ही मिले जैसे वो आम दिनों में अपने किसी प्रशंसक से मिलते थे। इतना ही नहीं उन्होंने दुःख की उस घड़ी में उनके साथ तस्वीरें भी खिंचाई क्योंकि वो इतने दूर से आए थे। इस घटना से तो वाकई ऐसा ही लगता है कोई ‘असाधारण, अदभुत या अकल्पनीय इंसान ही ऐसा कर सकता है।
राहुल एक ऐसी शख्सियत हैं जिनके कई किस्से मशहूर हुए हैं उनमें से एक किस्सा तब का है जब उन्होंने एक होटल में वेटर के आने का इंतजार किए बिना खुद ही काउंटर पर चले गए। अपने पूरे परिवार के लिए खाने का ऑर्डर दिया, दुकानदार को पैसे दिए और वापस अपनी सीट पर बैठकर खाने परोसे जाने का इंतजार किया। यह भले ही आम जीवन में बहुत ही छोटी सी बात हो लेकिन एक दिग्गज खिलाड़ी का ऐसा करना लोगों के लिए एक शानदार संदेश है।
राहुल द्रविड़ को क्रिकेट की दुनिया में ट्रेनिंग के कई ऑफर्स मिले, जब उन्हें ब्लाइंड क्रिकेटर्स को ट्रेनिंग देने के लिए पूछा गया तो उनका जवाब सभी के दिल को छू लेने वाला था. उन्होंने कहा कि “जो प्रतिभा और क्षमता इन ब्लाइंड खिलाड़ियों में है या वो जो कर सकते हैं वैसा शायद मैं भी नहीं कर सकता, ऐसा लगता है कि उन्हें मुझसे नहीं बल्कि मुझे उनसे कुछ सीखने की जरूरत है’. उनके इस जवाब की भी चर्चा क्रिकेट गलियारों में लंबे समय तक हुई थी।
राहुल हमेशा वैसी प्रतिभा को आगे बढ़ाने या प्रमोट करने में विश्वास रखते हैं जिन्हें उतनी लाइमलाइट नहीं मिलती जिसके वो हकदार हैं। उन्होंने ओलंपिक और पैरालंपिक के खिलाड़ियों को बेहतर सुझाव, ट्रेनिंग और मेंटरिंग के लिए गो स्पोर्ट्स फाउंडेशन ज्वाइन किया और क्रिकेट कोचिंग के अलावा वो देश के लिए खेलने और जीतने वाले इन सभी खिलाड़ियों की समय-समय पर हौसला आफजाई और ट्रेनिंग देते रहते हैं। वो दुनिया के एकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके फेसबुक पेज पर सिर्फ पॉजिटिव बातें और रिस्पांस मिलते हैं।