May 5, 2024

न्यायालय के आदेश के बावजूद भी विद्युत संविदा कर्मियों का हो रहा उत्पीडन

देहरादून। उच्च न्यायालय, नैनीताल के आदेश के बावदूद भी उर्जा के तीनों निगमों में विद्युत संविदा कर्मियों का प्रबंधन उत्पीडन कर रहा है। एककल बैंच से लेकर द्वितीय बैंच के ओदश जारी होने के बावजूद भी विद्युत संविदा कर्मियों निगम प्रबंधन समान कार्य के लिए समान वेतन देने के लिए तैयार नहीं है। जबकि निगम के ही पांच कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान वेतन की सुविधा लागू कर दी गयी है। बावजूद इसके हजरों कर्मचारियों को इस आदेश से दूर रखा गया है।पूर्व में ही मा0 उच्च न्यायालय, उत्तराखण्ड नैनीताल द्वारा रिट याचिका सं0 1203/2013 (एस0एस0) विनोद कुमार कवि व अन्य बनाम उत्तराखण्ड राज्य व अन्य के सम्बन्ध में दिनांक 21.03.2018 को उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0 में उपनल के माध्यम से कार्योजित पांच संविदा कार्मिकों क्रमशः विनोद कुमार कवि, हेमलता गुसाई, नीरज उनियाल,घनश्याम शर्मा एवं अनिल कुमार नौटियाल (डाटा एन्ट्री आपरेटर/स्टैनोग्राफर) को समान कार्य के लिए समान वेतन दिये जाने के निर्देश जारी किये गये थे । जिसके अनुपालन में प्रबन्ध निदेशक, उपाकालि द्वारा कार्यालय ज्ञाप संख्या 3071/प्र0नि0/उपाकालि दिनांक 19.09.2018 के माध्यम से उक्त पांचों कार्मिकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने के आदेश जारी कर दिये गये है। जिसके बाद ‘‘उत्तराखण्ड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन (इंटक)‘‘ द्वारा औद्योगिक न्यायाधिकरण, हल्द्वानी मं पंजीकृत वाद संख्या 31/2014 के सम्बन्ध में दिनांक 12/09/2017 को निर्देश जारी किये गये थे कि ‘‘ऊर्जा के तीनों निगमों (उपाकालि, यूजेविएनएल व पिटकुल) में उपनल के माध्यम से कार्यरत संविदा कार्मिकों को दिनांक 04.08.2018 से विभागीय दैनिक वेतनभोगी मानते हुए विनियमितिकरण नियमावली-2011 के तहत नियमित किया जाये तथा जो कार्मिक नियमितिकरण के दायरे में नहीं आते है उन्हे समान कार्य के लिए समान वेतन मंहगाई भत्ते सहित दिया जाये। जिसके विरूद्ध उत्तराखण्ड शासन द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में अपील दायर की गई है तथा प्रकरण वर्तमान में मा0 उच्च न्यायालय, नैनीताल में विचाराधिन है।
मा0 न्यायालयों के उपरोक्त समस्त आदेशों/निर्देशों के अनुपालन के साथ-साथ मा0 उच्च न्यायालय, नैनीताल के दो जजों की खण्डपीठ द्वारा दिनांक 12/11/2018 को जनहित याचिका सं0 116/2018 (पी0आई0एल0) कुन्दन सिंह बनाम उत्तराखण्ड सरकार के संदर्भ में दिये गये निर्देशों के क्रम में उत्तराखण्ड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन (इंटक) आपसे अनुरोध के साथ मांग करता है कि शीघ्रताशीघ्र मा0 न्यायालयों के उपरोक्त निर्णयों को लागू करते हुए ऊर्जा के तीनों निगमों (उपाकालि, यूजेविएनएल व पिटकुल) में उपनल के माध्यम से कार्योजित संविदा कार्मिकों को नियमित किया जाये तथा नियमित होने तक बगैर जी0एस0टी0 व सर्विज टैक्स की कटौती के समान कार्य के समान वेतन मंहगाई भत्ते सहित प्रदान किया जाये जिससे मा0 न्यायालयों के आदेशों का सम्मान हो सके। साथ ही प्रदेश हित में औद्योगिक शान्ति बनी रहे। कृत कार्यवाही से संगठन को अवगत कराने की कृपा करें।

डा0 हरक सिंह रावत का कहना है कि न्यायालय के फैसले की जानकारी उनके पास नहीं है। वह पहले से भी यह मानते है कि योग्यता के आधार पर कर्मचारियों को उनका हक मिलना चाहिए। मंत्री रावत का मानना है कि वह पहले भी इस संबंध मुख्यमंत्री महोदय को अवगत करा चुके है।

वहीं विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद कवि ने साफ करते हुये कहा कि सरकार और निगम प्रबंधन को कर्मचारियों के साथ दोहरा व्यवहार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को न्यायालय आदेश के क्रम में तत्काल समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाना चाहिए।

यह है संगठन की मांग

4. राज्य सरकार को निर्देशित किया गया है कि उपनल के माध्यम से कार्योजित संविदा कार्मिकों को चरणबद्ध तरीके से एक वर्ष की समय अवधि में विनियमितिकरण नियमावली तैयार कर नियमित करें।
5. राज्य सरकार यह सुनिश्चित करें कि उपनल के माध्यम से कार्योजित संविदा कार्मिकों को छः माह के भीतर एरीयर सहित न्यूनतम वेतन, मंहगाई भत्ते का भुगतान भी किया जाये।
6. यह भी निर्देशित किया है कि उपनल के माध्यम से कार्योजित संविदा कार्मिकों का वेतन बगैर जी0एस0टी0 व सर्विस टैक्स की कटौती के दिया जाये।


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