उत्तराखंड में मिला सबसे छोटे स्तनपाइयों में शुमार दुर्लभ वाटर श्रु
देहरादून। सबसे छोटे स्तनपाइयों में शुमार चूहे जैसा दिखने वाला दुर्लभ वाटर श्रु (जल कर्कशा) नाम का जीव उत्तराखंड में भी पाया गया है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) के वैज्ञानिकों ने पहली बार उत्तराखंड के कुमाऊं में अस्कोट वाइल्डलाइफ सेंचुरी और गढ़वाल मंडल के उत्तरकाशी क्षेत्र में इस जीव की उपस्थिति दर्ज की है। संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार यह जीव जल और थल दोनों जगह पाया जाता है।
भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक डॉ. वीबी माथुर के मुताबिक जल कर्कशा की उत्तराखंड में उपस्थित कई मायनों में अहम है। इसकी बड़ी वजह यह है कि इस जीव को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आइयूसीएन) ने संकटग्रस्त जीवों की श्रेणी में रखा है। अभी तक विश्व में इसकी 13 प्रजातियों की ही जानकारी है और यह जीव उत्तरी-दक्षिणी एशिया, दक्षिणी चीन व पूर्वी नेपाल में मिला है।
भारत में अब तक इसकी उपस्थिति सिर्फ सिक्किम व अरुणाचल प्रदेश में दर्ज की गई थी। उन्होंने बताया कि इस जीव के बारे में फिलहाल ज्यादा जानकारी नहीं है। हालांकि उत्तराखंड के इसके होने के प्रमाण मिलने के बाद जल कर्कशा को लेकर अध्ययन किया जाएगा।
नदी की धारा के विपरीत तैरता है
डब्ल्यूआइआइ के निदेशक डॉ. माथुर के अनुसार जल कर्कशा नदी की धारा के विपरीत तैरता और भोजन के रूप में छोटी मछलियों का शिकार करता है। इसके व्यवहार को लेकर भी संस्थान अब अध्ययन करेगा।
1500 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर वास
भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक इस स्तनपाई जीव का प्राकृतिक वासस्थल 1500 से 4000 मीटर की ऊंचाई तक होता है। उत्तराखंड में जल कर्कशा की उपस्थित यहां हो रहे जलुवायुवीय बदलाव के अध्ययन में भी अहम भूमिका अदा कर सकती है।
निदेशक डॉ. माथुर के मुताबिक यह भी पता लगाने का प्रयास किया जाएगा कि जल कर्कशा यहां पहले से पाए जाते थे या कुछ विशेष प्राकृतिक बदलाव के चलते इसकी मौजूदगी पाई गई है। भविष्य में यह भी पता लगाया जाएगा कि इसकी कुल कितनी प्रजातियां उत्तराखंड या इस जैसे हिमालयी क्षेत्रों में है।