May 5, 2024

1984 सिख दंगा:कांग्रेस नेता सज्जन कुमार दोषी करार, आजीवन कारावास की सजा

दिल्ली के दिग्गज कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार के साथ पूरी कांग्रेस पार्टी के लिए सोमवार का दिन काला साबित हुआ। दिल्ली में1984 में हुए सिख दंगों के एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन कुमार समेत चार लोगों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।

सजा सुजाए जाने के बाद दोषी सज्जन कुमार को 31 दिसंबर तक सरेंडर करना होगा। सोमवार को जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने यह फैसला सुनाया। सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा देने के साथ दोषी पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इससे पहले निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था। 

सज्जन कुमार के साथ तीन और लोगों को भी उम्रकैद की सजा
कोर्ट ने अपने फैसले में सज्जन कुमार, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोकर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। वहीं, किशन खोकर और पूर्व पार्षद महेंद्र यादव को 10 साल की सजा मिली है। 

हाई कोर्ट ने अपने इस कठोर फैसले के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि 1947 में भार-पाक बंटवारे के दौरान लोग मारे गए थे, फिर 37 साल बाद दिल्ली इसी तरह के दंगों की गवाह बनी। आरोपी राजनीतिक करियर में आनंद लेता रहा और ट्रायल से बचता रहा। बता दें कि सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने कुल 7 अपील पर अपना फैसला सुनाया है। 

वहीं, बता दें कि निचली अदालत 1984 सिख दंगा मामले में 2013 में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी कर चुकी थी और बाकी बचे आरोपियों को कोर्ट ने दोषी करार दे चुकी है थी। 

दिल्ली के दिग्गज कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को पांच लोगोंं की हत्या में सजा सुनाए जाने के बाद भाजपा, आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ सिख संगठनों ने हमला बोल दिया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि ये विडंबना है कि यह फैसला उस दिन आया है जहां सिख समाज दूसरे एक नेता को दोषी मानता है,कांग्रेस उसे मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला रही है।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा ‘सिख दंगों के इस मामले में सज्जन कुमार को मिली सजा कोर्ट की ओर से स्वागतयोग्य कदम है। पीड़ितों ने लंबे समय तक इस फैसले का इंतजार किया।’

वहीं, भाजपा-अकाली दल (बादल) के संयुक्त विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा- ‘हम कोर्ट का शुक्रिया अदा करते हैं। जब तक जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार को फांसी नहीं लग जाती हमारी लड़ाई तब तक जारी रहेगी।’

तकरीबन 34 साल बाद इसमें फैसला आया है। वहीं, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सोमवार को ही मुख्यमंत्रियों का शपथग्रहण समारोह है, ऐसे में सज्जन कुमार के खिलाफ आया यह फैसला कांग्रेसियों का मजा किरकिरा भी कर सकता है। 

यह है मामला

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगों के बाद नवंबर, 1984 को दिल्ली छावनी के राजनगर क्षेत्र में एक ही परिवार के पांच सदस्यों को मार दिया गया था। इस मामले में हाई कोर्ट की डबल बेंच के जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल 29 अक्टूबर को  केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ), दंगा पीड़ितों और दोषियों की ओर से दायर अपीलों पर दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

दरअसल, सीबीआई ने 1 नवंबर, 1984 को दिल्ली कैंट के राज नगर इलाके में पांच सिखों की हत्या के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी किए जाने के निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पूछा था कि स्टेट मशीनरी क्या कर रही थी? घटना दिल्ली कैंटोनमेंट के ठीक सामने हुई थी।


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