यूपी में मिड डे मील घोटाले की अनूठी कहानी, मुफ्त में नौकरी और करोड़ों रुपए ट्रांसफर
यूपी के बाराबंकी में मिड डे मील में हुए घोटाले ने उत्तर प्रदेश शासन को हिलाकर रख दिया है. सवा 4 करोड़ के इस घोटाले ने सरकारी बाबुओं के भ्रष्टाचार को उजागर किया है. पता चला कि कई साल से बीएसए दफ्तर में मुफ्त में काम कर रहा एक शख्स अफसरों की नाक के नीचे पूरा पैसा व्यक्तिगत बैंक खातों में ट्रांसफर कर रहा था. मामले में अब प्रदेश भर में जांच के आदेश हो गए हैं.
सरकारी दफ्तर में फ्री सेवा देता मिला कम्प्यूटर ऑपरेटर
दरअसल बाराबंकी के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी वीपी सिंह रोज की तरह अपना काम कर रहे थे. एक दिन अचानक उनकी नजर कार्यालय में मिड डे मील की इन्ट्री का काम देख रहे कम्प्यूटर ऑपरेटर पर पड़ी. उन्होंने सामान्य सी पूछताछ की, इस दौरान उन्होंने पद आदि पूछा तो पता चला कि वह दफ्तर में कर्मचारी ही नहीं है. वह यहां वर्षों से मुफ्त में सेवा दे रहा है.
बीएसए वीपी सिंह बताते हैं कि उन्हें शक हुआ लेकिन उन्होंने कुछ जाहिर नहीं किया और चुपचाप मिड डे मील की इंट्री की जांच करने में लगे गए. जब इंट्री को उन्होंने चेक करना शुरू किया तो चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं. पता चला कि मिड डे मील के सरकारी करोड़ों रुपए किसी स्कूल या संस्था की बजाए व्यक्तिगत बैंक खातों में ट्रांसफर किए जा रहे थे. जांच आगे बढ़ाई तो पता चला कि 2013 से इस घोटाले को मध्याह्न भोजन समन्वयक अंजाम दे रहे थे.
किसी को खबर नहीं और करोड़ों रुपए हो रहे थे ट्रांसफर
साफ हुआ कि करोड़ों रुपए का खेल उनकी ही नाक के नीचे चल रहा था और किसी को खबर तक नहीं लगी. इसके बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दोषियों के खिलाफ नगर कोतवाली थाने में तहरीर देकर मुकदमा पंजीकृत करवाया.
उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपनी तहरीर में मध्याह्न भोजन के समन्वयक राजीव शर्मा और उनके सहयोगी रहीमुद्दीन, रोजी, साधना को इस पूरे घोटाले का जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई की मांग की. जिसके बाद राजीव शर्मा और रहीमुद्दीन को गिरफ्तार कर लिया गया है.
2013 से चल रही थी मिड डे मील में लूट
वीपी सिंह बताते हैं कि साल 2013 से बच्चों के मिड डे मील में लूट का खेल चल रहा था. सभी आरोपी इतने शातिर तरीके से काम कर रहे थे कि सामान्य तौर पर इन्हें पकड़ना तो दूर इन पर कोई शक भी नहीं कर सकता था. अगर उन्होंने गुपचुप तरीके से जांच न कराई होती तो यह पकड़ में आते ही नहीं.
बीएसए ने बताया कि जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी ने इनका घोटाला उजागर करने में भरपूर सहयोग दिया. खाते की जांच में पता चला कि पैसा किसी स्कूल के खाते में या किसी संस्था के खाते में न जाकर बल्कि व्यक्तिगत खातों में जा रहा है. यही नहीं घोटाला करने वालों ने फर्जी स्कूलों के नाम से आईडी बनाकर खाते भी खुलवाए और ट्रेजरी से बजट ट्रांसफर कराया.
बाराबंकी घोटाले से खुली उत्तर प्रदेश सरकार की आंख
उधर बाराबंकी में घोटाला सामने आने के बाद शासन की तरफ से प्रदेश के सभी जिलों में मिड डे मील के खातों और उसके वितरण की जांच के निर्देश दिए गए हैं. शासन के निर्देश पर निदेशक मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण ने सभी डीएम और बीएसए को मिड डे मील से जुड़ी जांच के निर्देश दिए हैं. खुद डीएम की निगरानी में यह पूरी जांच कराई जाएगी. जांच की रिपोर्ट एक महीने में सचिव, बेसिक शिक्षा को दी जानी है.