उत्तराखण्ड आपदा: त्रिवेन्द्र रावत का प्रबंधन मॉडल और डबल इंजन का दिखा दम
देहरादून: रैणी गांव में जब रविवार सुबह दस बजे कुदरत ने अपना रौद्र रूप दिखाया तो इसकी खबर सुनते ही देश-प्रदेश के लोग सहम गये। लोग तरह-तरह की आंशओं से घिरे रहे। मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया था। जनता किसी बड़े हादसे की आंशका से भयभीत हो गयी थी। उत्तराखण्ड की जनता अभी केदारनाथ हादसे को भूल भी नहीं पाई थी। उस पर कुदरत की ये नई मार।
लेकिन प्रदेश के मुखिया त्रिवेन्द्र रावत इस हादसे के बाद कुशल सेनापति की तरह नजर आये। जब उन्हें हादसे की जानकारी मिली तो तुरन्त फैसला लेते हुए घटना स्थल की ओर रवाना हो गये। सीएम त्रिवेन्द्र रावत के हरकत में आने के बाद तुरन्त केन्द्र सरकार भी सक्रिय हो गई। और अब डबल इंजन की ताकत और त्रिवेन्द्र के प्रबंधन कौशल से राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है।
आपदा और त्रिवेन्द्र रावत के त्वरित फैसले
पहले खुद मौके पर पहुंचे। प्रशासन भी एक्टिव हुआ और फैसला लिया श्रीनगर बांध के पानी को छोडा़ गया और टिहरी बांध के पानी को रोका गया ताकि अलकनंदा नदी में पानी के बवाह से निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा ना हो। इस फैसले से बाढ़ की स्थिति से बचा जा सका। नदी के किनारे की बस्तियों को खाली कराया गया। जिससे जानमाल का नुकसान होने की स्थिति से बचा गया।
इसके साथ ही समय गंवाये बिना घंटे भर भीतर राहत और बचाव की रुपरेखा तैयार की गई। प्रदेश और केन्द्र सरकार को अलर्ट किया गया। फौरन रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया।
डबल इंजन का दिखा दम
ग्राउंड जीरो से ही सीएम रावत ने केन्द्र सरकार से लगातार सम्पर्क बनाए रखा और हर स्थिति की खबर देते रहे है। केन्द्र सरकार भी हरकत में आ गई। केन्द्र सरकार ने तुरन्त एनडीआरएफ की टीमें दिल्ली से उत्तराखण्ड के लिये रवाना किया। शाम होते एयर फोर्स का जंबो विमान भी राहत और बचाव के लिए रवाना हुए। हिंदन से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर प्लेन उतरने लगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों से बातचीत जारी रखा। उनके कुशल नेतृत्व का ही नतीजा रहा है आपदा प्रबंधन की प्रदेश और केन्द्र की तमाम एजेंसिया सेना, वायुसेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवानों की मदद मिलने लगी। और शाम होते जल प्रलय के मलबे से कई जिंदगियों को बचा लिया गया।
युद्ध स्तर पर है रेस्क्यू अभियान
इस हादसे में प्रभावित लोगों को लगातार रेस्क्यू किया जा रहा है। चैबीस घंटे राहत और बचाव कार्य में राज्य और केन्द्र की एजेंसियां लगी हुई है। हादसे में अलग-थलग हुए गांवों में राहत सामग्री भेजी जा रहा है। बीआरओ की सहायता से आपदाग्रस्त क्षेत्र में पहुंचने के लिए पुल बनाये जा रहे हैं। घायलों को स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने की मेडिकल की दो टीमें वहां तैनात की गई है।