एनआरसी: ‘मोदी सरकार ने हिम्मत दिखाकर यह काम किया है’, शाह के बयान पर हंगामा
असम में एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) के ड्राफ्ट को लेकर संसद के बाहर और भीतर विरोधी दल के सांसदों ने विरोध जताया। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘रोहिंग्या शरणार्थियों को राज्य सरकारें देश से बाहर कर सकती हैं। राज्यसभा में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, ‘राजीव गांधी ने 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जोकि एनआरसी की तरह का था। उनके पास इसे लागू करने की हिम्मत नहीं थी। हमने कर दिया।’
वहीं राज्यसभा में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि आप बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाना चाहते हैं। घुसपैठियों की पहचान करने की हिम्मत आज तक किसी सरकार ने नहीं दिखाई। हंगामे के बीच राज्यसभा पहले 10 मिनट के लिए और फिर कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘ म्यांमार भेजने पर सरकार प्रक्रिया शुरू करेगी। रोहिंग्या पर सरकार ने दिशा-निर्देश जारी की हैं। सीमा सुरक्षा बल और आसाम राइफल्स को रोहिंग्या घुसपैठ रोकने के लिए तैनात किया गया है। राज्यों को एडवाइजरी जारी की गई है। उन्हें भारत आ चुके रोहिंग्या पर नजर बनाए रखने और मॉनिटर करने के साथ ही एक जगह पर रखने के लिए कहा गया है। उनसे कहा गया है कि वह उन्हें फैलने ना दें।’
टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने आरोप लगाया कि सरकार बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्याओं के लिए ऑपरेशन इंसानियत चला रही है, भारत में रहनेवालों के लिए नहीं। विपक्षी पार्टियों के सरकार के भेदभाव के आरोप पर राजनाथ सिंह ने कहा, ‘राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे राज्य में रोहिंग्याओं की संख्या आदि के बारे में गृह मंत्रालय को सूचना दें। इसी के आधार पर जानकारी विदेश मंत्रालय को दी जाएगी और विदेश मंत्रालय म्यांमार के साथ इनको डिपोर्ट करने पर बातचीत करेगा।
इससे पहले कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी और टीएमसी के सौगत रॉय ने लोकसभा में एनआरसी ड्राफ्ट को लेकर स्थगन प्रस्ताव दिया। वहीं संसद की कार्यवाही से पहले भाजपा संसदीय दल बोर्ड की बैठक हुई जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और धर्मेंद्र प्रधान सहित कई मंत्री मौजूद रहे।
बता दें कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन का दूसरा ड्राफ्ट सोमवार को आया था। जिसकी वजह से विपक्षी पार्टियों ने सरकार को आड़े हाथ लिया था। कांग्रेस ने सोमवार को ही कहा था कि वह इस मसले को संसद में उठाएंगे। कांग्रेस सांसद ने इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदन में आकर इसपर बात रखने के लिए कहा था। वहीं ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि कुछ लोगों का नाम सूची से उनके सरनेम के आधार पर हटाया गया था।
दूसरी तरफ एनआरसी मामले को लेकर संसद भवन के परिसर में तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। टीएमसी के सासंद सुगत बोस ने कहा, ‘विदेश मंत्रालय बांग्लादेश के रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए ऑपरेशन इंसानियत का आयोजन कर रही है। भारत में इस समय 40,000 रोहिंग्या हैं। क्या हम केवल उन्हीं रोहिंग्या के लिए सहानिभूति दिखाएंगे जो बांग्लादेश में हैं?’
टीएमसी सांसद के बयान का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा, ‘यह सुगत बोस के द्वारा दिया गया दुर्भाग्यपूर्ण बयान है। भारत शायद अकेला ऐसा देश है जो शरणार्थियों के प्रति नरम रुख रखता है। हमने म्यांमार को यह भी बताया है कि हम लौटने पर रोहिंग्या को सुविधाएं प्रदान करने में उनकी सहायता करने के लिए तैयार हैं।’
विपक्ष के सरकार पर धार्मिक आधार पर बंटवारे की राजनीति के आरोपों पर भी गृह मंत्री ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मैं पूरे सदन को इस पूरी प्रक्रिया में सरकार के हाथ होने की बात साबित करने की चुनौती देता हूं। सभी जानते हैं कि इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है। सारा कुछ सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और निगरानी में हो रहा है। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए।
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायवती ने कहा, ‘भाजपा शासित आसाम में एनआरसी ड्राफ्ट के जरिए लगभग 40 लाख अल्पसंख्यकों की नागरिकता को अवैध करार दे दिया गया है। यदि लोग आसाम में लंबे समय से रह रहे हैं और वह अपनी नागरिकता का सबूत देने में सक्षम नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें देश से बाहर फेंक दिया जाए।’