May 1, 2024

खालिस्तानी आतंकी कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो के साथ डिनर में आमंत्रित

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की भारत यात्रा लगातार चर्चा में है। अब ट्रूडो की पत्नी सोफी ट्रूडो की एक तस्वीर सामने आई है जिसमें वह बैन किए जा चुके इंटरनैशनल सिख यूथ फेडरेशन में ऐक्टिव रहे दोषी खालिस्तानी आतंकवादी जसपाल अटवाल के साथ दिख रही हैं।कनाडा के पीएम की पत्नी की यह तस्वीर मुंबई में 20 फरवरी को आयोजित हुए एक इवेंट की है। इसके अलावा जसपाल अटवाल को कनाडा के पीएम के लिए आयोजित किए गए औपचारिक डिनर में भी आमंत्रित किया गया था।

सीबीसी न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय से इस बारे में पूछने पर बताया गया कि इनवाइट को रद्द कर दिया गया है। इस इन्वाइट को भारत में कनाडा के हाई कमिश्नर द्वारा दिया गया था। सीबीसी न्यूज़ को एक ई-मेल में पीएमओ प्रवक्ता ने कहा, ‘मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि हाई कमिशन अटवाल के निमंत्रण को रद्द करने की प्रक्रिया में है।’

मंगलवार को मुंबई में आयोजित हुए एक इवेंट में ट्रूडो परिवार और बॉलिवुड हस्तियों समेत कनाडा में कैबिनेट मंत्री अमरजीत सोही ने भी शिरकत की थी। और इसी इवेंट में अटवाल और सोफी ट्रूडो की तस्वीर ली गई है। अमरजीत सोही भी जसपाल अटवाल के साथ तस्वीरों में दिख रहे हैं। इन तस्वीरों के सार्वजनिक होने के बाद भारत में इसका विरोध हो सकता है।

ट्रूडो ने दिया था बयान 
ट्रूडो के आधिकारिक भारत दौरे पर अटवाल का दिखना उनके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। बता दें कि खालिस्तानी समर्थक कहे जाने वाले ट्रूडो ने हाल ही में बयान दिया था, ‘हम एक भारत व संयुक्त भारत का समर्थन करते हैं और इस मामले में कनाडा का रुख नहीं बदला है।’ उन्होंने कहा, ‘हमने यह स्वीकार किया है कि विविधता हमारी ताकत है। अलग-अलग मत वाले विचार कनाडा की सफलता का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और हम हिंसा को नकारते हैं।’

कौन है जसपाल अटवाल 
बता दें कि अटवाल पर 1986 में वैंकूवर आइलैंड पर भारतीय कैबिनेट मंत्री मलकीयत सिंह सिंधू की हत्या का प्रयास करने के आरोप है। उस समय अटवाल कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और भारत में एक आतंकवादी समूह के तौर पर बैन किए गए इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन के सदस्य थे। इसके अलावा अटवाल को 1985 में एक ऑटोमोबाइल फ्रॉड केस में भी दोषी पाया गया था।

अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि अटवाल का नाम मुंबई और दिल्ली के इवेंट की गेस्ट लिस्ट में कैसे आया। इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन को कनाडा सरकार ने 1980 में एक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था। अटवाल उन चार लोगों में से एक थे जिन्होंने 1986 में वैंकूवर में सिंधू की कार पर गोलियां चलाईं थीं। अटवाल ने सिंधू पर हुए हमले में अपनी भूमिका होने की बात स्वीकर की थी।

‘खालिस्तान’ के पीछे वोट बैंक की राजनीति! 
कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो की पहली भारत यात्रा के बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें यहां उतना प्यार नहीं मिला, जितने की उम्मीद थी। दोनों देशों के मीडिया में यह मुद्दा गरमा गया है कि भारत सरकार ने उनके प्रति बेरुखी दिखाई, क्योंकि ट्रूडो ने अपने देश में खालिस्तानी संगठनों का समर्थन किया था। ट्रूडो सरकार में खालिस्तानी समर्थकों के प्रति नरमी के पीछे असल में वहां की घरेलू राजनीति है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह कोशिश की थी कि ट्रूडो खालसा डे परेड में हिस्सा न लें, लेकिन यह नहीं हो सका। ट्रूडो से पहले स्टीफन हार्पर कनाडा के पीएम थे और अपने कार्यकाल में वह इस रैली में नहीं गए थे। इसी वजह से 2012 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और 2015 में नरेंद्र मोदी की कनाडा यात्रा का रास्ता साफ हो सका था। हाल में कनाडा के 16 गुरुद्वारों ने भारतीय अधिकारियों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी, जिसके खिलाफ ट्रूडो सरकार ने कोई ऐक्शन नहीं लिया। इसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन के गुरुद्वारों ने भी ऐसा ही कदम उठाया। कनाडा में अधिकारियों ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी बताया था।


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