पूर्वोत्तर-जम्मू-कश्मीर में हवाई संपर्क बढ़ाने की केंद्र की योजना
पाकिस्तान-चीन के साथ लगती जम्मू-कश्मीर तथा पूर्वोत्तर की सीमाओं तक पहुंच की गति बढ़ाने के मकसद से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सामरिक महत्व का एक और कदम उठाया है। इसके तहत 24 हवाई अड्डों और हेलीपैडों का चयन किया गया है. इन्हें आरसीएस (क्षेत्रीय संपर्क योजना) के दायरे में लाया जाएगा।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक चिन्हित किए गए हवाई अड्डों-हेलीपैडों में सबसे ज्यादा नौ अरुणाचल प्रदेश में हैं। पांच-पांच असम और मणिपुर में, दो जम्मू-कश्मीर और एक-एक मेघालय, त्रिपुरा व सिक्किम में हैं। सूत्र बताते हैं कि आरसीएस के दूसरे चरण के तहत इन हवाई अड्डों और हेलीपैडों को शामिल किया गया है। और इस दूसरे चरण के नए मार्गों के लिए बोली प्रक्रिया इस साल 24 अगस्त को ही शुरू हो चुकी है। यानी भारत-चीन के बीच दो महीने से ज्यादा चले डोकलाम विवाद के खत्म होने से चार दिन पहले ही।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के चेयरमैन गुरुप्रसाद मोहपात्रा इस संबंध में बताते हैं, ‘इन इलाकों में कनेक्टिविटी की बड़ी दिक्कत है। स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति में इन इलाकों तक पहुंचना तो लगभग असंभव हो जाता है। क्योंकि यहां हवाई अड्डों का कोई मूलभूत ढांचा ही नहीं है। हम अव्वल तो इसी समस्या का समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं। रही बात सामरिक महत्व की तो युद्ध की स्थिति में तो देश के सभी हवाई अड्डे और पूरा हवाई मार्ग सेनाओं के ही काम आते है और उन्हीं के कब्जे में रहता है।’
ग़ौरतलब है कि मोदी सरकार ने पहले चरण में आरसीएस के तहत पूर्वोत्तर के सिर्फ छह हवाई अड्डों- शिलॉन्ग, दीमापुर, इंफाल, सिलचर, आइज़ॉल और अगरतला को शामिल किया था। जबि उस चरण में जम्मू-कश्मीर को शामिल ही नहीं किया गया था. संभवत: इसीलिए दूसरे चरण में इन्हीं इलाकों को प्राथमिकता के तहत लिए जाने की योजना है।